शिक्षा के नाम पर लूट पर ब्रेक — अब छिंदवाड़ा में भी उठी मांग
स्कूल-किताब माफिया पर वार, क्या छिंदवाड़ा कलेक्टर भी लेंगे एक्शन*..…....?
जबलपुर कलेक्टर की पहल से 4000 की किताबें अब सिर्फ 450 रुपये में — छिंदवाड़ा में भी उठे मांग, कलेक्टर से कार्रवाई की अपील
छिंदवाड़ा।शिक्षा के नाम पर लूट कब तक?
हर साल जब नया सत्र शुरू होता है, तो बच्चों की किताबें और कॉपियाँ आम अभिभावक के लिए सिरदर्द बन जाती हैं। पहली-दूसरी कक्षा के बच्चों की किताबों पर ही तीन से पाँच हजार रुपये तक खर्च हो जाते हैं। ये खर्च इतना भारी होता है कि कई परिवारों की सालाना बजट बिगड़ जाता है।
लेकिन जबलपुर में एक साहसी और दूरदर्शी निर्णय ने इस व्यवस्था को हिला कर रख दिया। जबलपुर के कलेक्टर दीपक सक्सेना ने शिक्षा माफिया पर सीधा प्रहार करते हुए निजी स्कूलों को एक नोटिस जारी किया — जिसमें सवाल पूछा गया कि अलग-अलग प्रकाशनों की महंगी किताबें क्यों पढ़ाई जा रही हैं? स्कूलों को यह आदेश दिया गया कि वे बताएं कि किस प्रकाशन की किताब क्यों चुनी गई है और उस जानकारी को स्कूल की वेबसाइट पर सार्वजनिक करें।
इस एक कड़े कदम से ऐसा असर हुआ कि जिन किताबों के सेट पहले ₹4000 तक के होते थे, वही अब ₹420 से ₹450 में उपलब्ध हो गए हैं। 10 गुना तक की गिरावट ने अभिभावकों के चेहरों पर राहत ला दी है। यह कार्रवाई शिक्षा के बाजारीकरण पर एक करारा तमाचा है, जहाँ निजी स्कूल और पब्लिकेशन मोटा कमीशन लेकर अभिभावकों की जेब काटते रहे हैं।
अब यह मिसाल पूरे प्रदेश में गूंज रही है। छिंदवाड़ा जिले में भी हालात कुछ अलग नहीं हैं। यहाँ भी निजी स्कूलों में किताबों का सेट ₹4000 से ₹5000 में बेचा जा रहा है। ऐसे में यहाँ के अभिभावक जबलपुर जैसे कड़े कदम की उम्मीद कर रहे हैं। छिंदवाड़ा के कलेक्टर से माँग की जा रही है कि वे भी इसी तरह की कार्रवाई करें और शिक्षा माफिया पर लगाम कसें।
सवाल अब यह है — क्या छिंदवाड़ा में भी मिलेगा अभिभावकों को जबलपुर जैसी राहत?

