स्वास्थ्य विभाग की गहरी नींद — ग्रामीणों में रोष, चेताया आंदोलन से
तामिया में झोलाछापों का राज, BMO व स्वास्थ्य विभाग कर रहे सिर्फ दिखावे की कार्रवाई
मनेश साहु तामिया/छिंदी। आदिवासी बहुल तामिया क्षेत्र में स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खुलती नज़र आ रही है। यहाँ झोलाछाप और कथित बंगाली डॉक्टर खुलेआम बिना किसी योग्यता के इंजेक्शन और दवाइयाँ दे रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि प्रशासन की नज़र सब कुछ देखकर भी अनदेखा कर रही है।
मीडिया टीम ने जब इन झोलाछाप डॉक्टरों से बात की, तो उनका साफ कहना था —
“हम ऊपर तक पैसा देते हैं, इसलिए किसी से डरते नहीं… बिंदास इंजेक्शन लगाते हैं।”
ऐसे बयान स्थानीय स्वास्थ्य व्यवस्था की सच्चाई सामने लाने के लिए काफी हैं।
छिंदी क्षेत्र में भी एक कथित बंगाली डॉक्टर द्वारा धड़ल्ले से इलाज किए जाने की पुष्टि हुई। पूछने पर उसने बेहिचक कहा —
“इसी तरह यहां सब इलाज करते हैं, कोई रोकने वाला नहीं है।”
बीएमओ पर उठे बड़े सवाल
ग्रामीणों का आरोप है कि तामिया बीएमओ केवल दिखावा करते हैं, असली कार्रवाई कभी नहीं होती। स्वास्थ्य विभाग की यह गोरिल्ला प्रवाही (लापरवाही) कहीं किसी बड़ी अनहोनी को दावत न दे दे।
जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को स्थिति की पूरी जानकारी होने के बावजूद न कोई निरीक्षण, न कोई रोकथाम — उल्टा फर्जी डॉक्टरी को बढ़ावा मिल रहा है। ग्रामीणों ने कहा कि मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ हो रहा है और प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा है।
ग्रामीणों की चेतावनी
पीड़ित ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि—
क्षेत्र में झोलाछाप डॉक्टरों पर कड़ी कार्रवाई की जाए
फर्जी क्लीनिकों को तुरंत बंद कराया जाए
गांवों में योग्य डॉक्टर व स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएँ
ग्रामीणों ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि सरकार और प्रशासन ने समय पर कदम नहीं उठाया, तो वे बड़ा आंदोलन करने पर मजबूर होंगे।

