ठेकेदार की मनमानी और अधिकारियों की लापरवाही से 108 एंबुलेंस बेहाल — मरीजों की जान पर बन आई
ठेकेदार की मनमानी पर स्वास्थ्य विभाग मौन, जवाबदेही तय करने की उठी मांग
, जुन्नारदेव।आकस्मिक स्थिति में मरीजों के जीवन को बचाने के लिए संचालित 108 एंबुलेंस सेवा जुन्नारदेव क्षेत्र में बदहाल स्थिति में खड़ी हुई दिखाई दे रही है। जुन्नारदेव थाना परिसर में खड़ी 108 एंबुलेंस के दोनों चक्के जमीन में धंसे हुए हैं और टायरों में हवा है भी या पंचर हैं यह स्पष्ट नहीं है। ऐसी स्थिति में यदि किसी गंभीर मरीज को तुरंत अस्पताल ले जाने की आवश्यकता पड़ती है तो इस सेवा पर भरोसा करना मुश्किल हो जाएगा।
भारत सरकार व प्रदेश शासन द्वारा इस महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवा का संचालन ठेका पद्धति पर किया गया है, किंतु ठेकेदारों द्वारा रखरखाव में घोर लापरवाही बरती जा रही है। ना तो स्वास्थ्य विभाग और ना ही प्रशासन की ओर से इस स्थिति पर कोई ध्यान दिया जा रहा है। ऐसे में ठेकेदार अपनी मनमानी कर लाभ तो ले रहे हैं, परंतु एंबुलेंस की मेंटेनेंस पर उनका कोई फोकस नहीं है।
समय पर एंबुलेंस न मिलने से क्षेत्र में हुई कई मौतें
आदिवासी बहुल विधानसभा क्षेत्र जुन्नारदेव में 108 सेवा की देरी ने कई परिवारों को अपूरणीय क्षति पहुँचाई है।
हाल ही में हिरदागढ़ में एक ग्रामीण को 108 सुविधा देर से मिलने के कारण उसकी मौत हो गई थी, जिसके विरोध में ग्रामीणों ने मुख्य सड़क पर चक्काजाम कर रोष प्रकट किया था।
इसी प्रकार, बीते दिनों एक सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति की भी समय पर एंबुलेंस न मिल पाने से जीवन रक्षा नहीं हो सकी।
प्रशासन से जवाबदेही तय करने की मांग
जनता का कहना है कि जब सरकार करोड़ों रुपये इस महत्वपूर्ण सेवा पर खर्च कर रही है, तो इसका लाभ आम जनता तक पहुँचना चाहिए।
यदि रखरखाव नहीं होगा तो यह सेवा किस काम की?
ग्रामीणों व सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि:
ठेका लेने वाली कंपनी पर कड़ी कार्रवाई की जाए
दोषी स्वास्थ्य अधिकारियों से जवाब-तलब हो
क्षेत्र में एंबुलेंस की उपलब्धता व मेंटेनेंस की नियमित मॉनिटरिंग हो
खराब एंबुलेंस को तत्काल सुधार कर सेवा में लगाया जाए
जनता का सवाल — जिम्मेदार कब जागेंगे?
क्षेत्र की जनता का कहना है कि
“बीमार एंबुलेंस नहीं, बीमार सिस्टम मौत की वजह बन रहा है।”
यदि व्यवस्था नहीं सुधरी तो उग्र आंदोलन की चेतावनी भी दी गई है।

