भाजपा नेताओं की दमनकारी नीतियों के खिलाफ मिडिया कर्मियों ने राज्यपाल के नाम सौंपा ज्ञापन
चौथा स्तभ की आवाज दबाने काम कर रहे बीजेपी नेता...
देश के स्वर्णिम विकास को नित्य नए-नए आयाम देने के लिए भारतीय संविधान में प्रजातंत्र के चौथा स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया कर्मियों को अपनी लेखनी के माध्यम से अभिव्यक्ति की आजादी दी गई है लेकिन बिछुआ में बीते दिनों भाजपा नेताओं ने प्रजातंत्र के चौथे पायदान के खिलाफ ही ज्ञापन देकर उनकी आवाज को दमनकारी नीतियों से कुचलने का संदेश दिया है। प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान समेत मंत्रिमंडल एक और जहां अपने आप को पत्रकारों को ऐसे हितेषी बताने के लिए डिंडोरी पीटने में पीछे नहीं रहते हैं तो वहीं दूसरी ओर स्थानीय नेताओं की ऐसी दमनकारी नीति कहीं ना कहीं मीडिया कर्मियों से उनके मौलिक अधिकारों का हनन करने जैसा हुआ।
मीडिया कर्मी पर झूठा मामला बनाने के लिए ज्ञापन से दबाव बना रहे भाजपा नेता - नगर परिषद बिछुआ में पदस्थ एक भ्रष्ट कर्मचारियों को बचाने के लिए पूरी की पूरी नगर परिषद मैदान में कूद पड़ी और तो और स्थानीय पत्रकार पर मामला बनाने के लिए थाना प्रभारी के नाम तक ज्ञापन सौंपने में पीछे नहीं रहे साथ ही एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र के जिला ब्यूरो को तथाकथित बताकर उसके मान सम्मान को ठेस पहुंचाने का कार्य बखूबी से किया जा रहा है। जिसकी मीडिया कर्मियों के द्वारा निंदा की गई।
घटना से दुखी स्थानीय मीडिया कर्मियों ने ज्ञापन सौंपकर जताया विरोध - मध्यप्रदेश के महामहिम राज्यपाल महोदय के नाम स्थानीय पत्रकार पत्रकारों ने बिछुआ तहसीलदार दिनेश उइके को ज्ञापन सौंपते हुए स्थानीय नेताओं की दमनकारी नीतियों का विरोध जताया है। मध्य प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ के बैनर तले सौंपा गया ज्ञापन में महामहिम राज्यपाल महोदय से दमनकारी नीतियों पर अंकुश लगाने की मांग की गई है ज्ञापन सौंपते समय प्रमुख रूप से मीडिया कर्मी सिरपत पवार,असलम खान, सुनील साहू ,बलजीत चौहन, उमेश साहू, मनोज साहू मौजूद रहें।
नवगठित परिषद के कारनामों से आमजन हलकान - जिले के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि किसी भ्रष्ट कर्मचारी को बचाने के लिए स्थानीय मीडिया पर दोषारोपण कर अपने आप को निर्दोष बताने में जुटे हुए हैं। नवगठित परिषद के द्वारा बिछुआ थाना प्रभारी को सौंपे का ज्ञापन में यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि उल्टा चोर कोतवाल को डांटे। गौरतलब है कि उपाध्यक्ष समेत सभापतियों की उपस्थिति में ज्ञापन देकर दबाव बनाया गया।


