जुन्नारदेव ----- नगर की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर श्रीराम लीला का मंचन आजादी के पूर्व सन् 1927 से अनवरत् जारी है। श्रीराम लीला का मंचन बदलते दौर के साथ लगातार बदल रहा है। पूर्व में यहां रामलीला में अत्याधुनिक सुविधाओं के अभाव के चलते पात्रों का अभिनय उभर कर सामने नहीं आता था वह अब आधुनिक सुविधाओं के चलते पात्रों के अभिनय को जमकर सराहा जा रहा है। वर्तमान में अत्याधुनिक लाइटिंग, कॉलर माइक के साथ आधुनिक वस्त्रों और वाद्य यंत्रों के समावेश से नगर की रामलीला के प्रति लोगों में विशेष उत्साह दिख रहा है जहां पर रोजाना रामलीला में दर्शकों की संख्या बढ़ने से बैठने की कुर्सिया तक कम पड़ रही है और नगर की श्रीरामलीला को लोग खड़े-खड़े भी उत्साह के साथ देख रहे है।
श्रीरामलीला के दूसरे दिन श्रीराम जन्म की लीला दिखाई गई। राजा दशरथ संतान प्राप्ति की कामना करते है और ऋिषि द्वारा उन्हें फल देकर अपनी चारो रानियों को खाने के लिए देने को कहां जाता है इसके बाद रानियों के फल खाने के उपरांत राजा दशरथ को चार संतान प्राप्त होती है जहां पर श्रीराम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न जन्म लेते है श्रीराम जन्म की लीला के दौरान वाद्य यंत्रों पर प्रतिवर्ष गाई जाने वाली लोरी से उपस्थित जनसैलाब भाव विभोर हो गया। वहीं प्रतिवर्षानुसार श्रीराम जन्म की लीला के दौरान रामदरबार लगाया गया जहां पर निःसंतान लोगों द्वारा संतान प्राप्ति के लिए मन्नत मांगी गई तो वहीं संतान प्राप्ति की मन्नत पूरी होने पर लोगों ने श्रीराम दरबार में भेंट भी चढ़ाई। बड़ी संख्या में जनमानस श्रीराम जन्म की लीला के दौरान अपने नवजात शिशुओं को लेकर रामदरबार में बंधे झूले में झुलाने के लिए पहुंचा और झूला झूलाकर अपनी मन्नते पूरी की।
श्रीराम ने किया ताड़का, सुबाहू और मारीच का बध ---- श्रीराम जन्म की लीला के बाद ऋषि विश्वामित्र राजा दशरथ से श्रीराम और लक्ष्मण को यज्ञ में बाधा डाल रहे राक्षसों का बध करने के लिए मांगते है। श्रीराम और लक्ष्मण ऋषि के साथ वन की ओर जाते है तब रास्ते में श्रीराम द्वारा आतातायी राक्षसी ताड़का जो वन्यप्राणी और मनुष्य को आये दिन अपना आहार बनाती थी और वन में आतंक फैलाती थी का संहार किया गया। इसके बाद वन में ऋषि मुनियों के धार्मिक कार्य, यज्ञ आदि में बाधा उत्पन्न करने वाले राक्षसों के साथ सुबाहू और मारीच का भी वध किया गया। श्रीराम लीला देखने के लिए बड़ी संख्या में जनसैलाब उमड़ रहा है। रामलीला का मंचन प्रतिदिन रात्रि 09.00 बजे से श्रीरामलीला मंच में किया जा रहा है। दूसरे दिन की इस लीला में श्रीराम की भूमिका में अनुरूप शर्मा, लक्ष्मण शैलेन्द्र शर्मा, विश्वामित्र धमेन्द्र मालवीय सहित अन्य किरदारों ने अपने अभिनय की अमिट छाप छोड़ी।

