दो दिवसीय किसान प्रशिक्षण के प्रथम दिवस में एलसीडी प्रोजेक्टर के माध्यम से मधुमक्खी पालन की सैद्धांतिक जानकारियां वीडियो, ऑडियो और फोटो के माध्यम से विभिन्न रोचक गतिविधियों के माध्यम से बताई गई, साथ ही साथ इसमें सभी उपस्थित प्रतिभागियों के लिए दोपहर के भोजन की व्यवस्था भी की गई। मधुमक्खी पालन की वैज्ञानिक पद्धति, साधन सामग्री की आवश्यकता एवं उपयोग, मधुमक्खी के प्रकार, मधुमक्खियों का परिवार, मधुमक्खी पालन से लाभ, मधुमक्खी पालन की चुनौतियां आदि विभिन्न विषयों को विस्तृत रूप से इस प्रशिक्षण में बताया गया।
प्रशिक्षण के दूसरे दिन मधुमक्खियों की प्रकृति कॉलोनी को बॉक्स में भरकर के सभी किसानों को दिखाया गया। किसानों ने इस प्रक्रिया में रोचक तरीके से भाग लिया।
मधुमक्खी पालन परियोजना का मुख्य उद्देश्य आदिवासी ग्रामीण अंचल के मध्यमवर्गीय किसानों को इस परियोजना के माध्यम से स्वावलंबी एवं रोजगार, व्यवसाय के अवसरों से जोड़ना है। जिससे किसानों को अतिरिक्त आय प्राप्त हो सके इस हेतु संस्था के द्वारा दो दिवसीय किसान प्रशिक्षण के साथ साथ 02 कोथीं के बॉक्स, 03 सतपुडीं बॉक्स एवं 01 मुख रक्षक जाली, 01 स्वाम बैग, 1 वर्ष में दो बार उत्तम किस्म के बीज एवं एक गाँव में 01 स्वाद शहद निष्कासन यंत्र, 01 शहद संग्रहण हेतु ड्रम एवं 01 वजन मशीन भी उपलब्ध करायी गई है! साथ ही ग्राम के एक शिक्षित युवक को मास्टर ट्रेनर के रूप में अपने ही ग्राम में रोजगार का अवसर भी उपलब्ध कराया गया है!
संस्था के द्वारा दो प्रकार की मधुमक्खी के पालन का कार्य कराया जा रहा है, एपिस सारेना (सतपुडीं) एवं कोथी साथ ही इसके पारागीकरण से किसानों को होने वाले लाभ से किसानों की आय में वृद्धि एवं प्रत्यक्ष रूप से शहद, मेंम, चना और मधुमक्खी के परिवार को बेचकर भी किसान अपनी आय बढ़ा रहे हैं।
इस प्रशिक्षण के प्रतिभागी सभी किसानों ने बताया कि प्रशिक्षण से पहले हम सभी मधुमक्खियों का शहद निकालने का कार्य मधुमक्खी के परिवार को जलाकर एवं उसके छत्ते में लगे अंडे बच्चे का सेवन कर नष्ट कर देते थे, जिससे हमें अब वर्तमान समय में पहले की अपेक्षा कम मधुमक्खियां देखने को मिल रही है! अब इस प्रशिक्षण से हमें मधुमक्खियों का हमारे जीवन में भूमिका और उनका रहना इस धरती पर कितना आवश्यक है, यहां पता चला तो अब हम इसका संरक्षण एवं संवर्धन हेतु पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है! हम अब मधुमक्खी पालन को एक रोजगार एवं व्यवसाय के रूप में करेंगे जिससे हमारी आय बढ़ेगी और मधुमक्खियों का संरक्षण और संवर्धन भी होगा!
इस प्रशिक्षण का आयोजन यूटीएमटी सोसाइटी की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर -सूजना कृष्णमूर्ति के निर्देशन एवं प्रोग्राम लीडर - धारा पटेल के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया है! परियोजना का संचालन में कार्यक्रम सहयोगी - ओमप्रकाश पाठे फील्ड सुपरवाइजर-रेशमलाल ङहरिया, संजू यदुवंशी,महेश यदुवंशी, करणराज भोपा, इतमन ईवनाती,महादेव डेहरिया एवं कैलाश बर्फ की महत्वपूर्ण भूमिका है।



