राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.एम.के.श्रीवास्तव के मुख्य आतिथ्य में आज शासकीय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय छिन्दवाड़ा में मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा गुणवत्ता उन्नयन परियोजना के अंतर्गत “भारतीय समाज में परिवार के बदलते प्रतिमान एवं इससे उत्पन्न चुनौतियाँ” विषय पर 2 दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ । कार्यक्रम की अध्यक्षता शासकीय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय छिन्दवाड़ा के प्राचार्य डॉ.पी.आर.चन्देलकर ने की । महाविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित इस संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में डी.एस.पी.महिला सेल प्रभारी छिन्दवाड़ा सुश्री श्वेता शुक्ला और जनभागीदारी अध्यक्ष श्री भरत घई विशेष अतिथि और टी.आर.एस. महाविद्यालय रीवा के समाजशास्त्र के प्राध्यापक डॉ.महेश शुक्ला मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित थे।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.श्रीवास्तव ने इस अवसर पर कहा कि आज भी परिवार की वास्तविक झलक गांव में दिखती है, किन्तु हमें एकल परिवार की विभीषिका को स्वीकार करना होगा और नई पीढ़ी में संस्कार विकसित करने होंगे। समाज के लिए कानूनी व्यवस्था से ज्यादा सामाजिक व्यवस्था जरूरी है। अध्यक्षीय उद्बोधन में प्राचार्य डॉ.चंदेलकर ने कहा कि नैतिक एवं चारित्रिक विकास से ही समाज विकास की ओर अग्रसर होगा । राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन महाविद्यालय के अकादमिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा । उन्होंने कहा कि समाज और परिवार के विकास में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है । उन्होंने इस आयोजन के लिए समाजशास्त्र विभाग को बधाई दी। मुख्य वक्ता टी.आर.एस.महविद्यालय रीवा के डॉ. शुक्ला ने कहा कि मनुष्य सामाजिक व्यवस्था का प्रमुख अंग है और संयुक्त परिवार सामाजिक व्यवस्था का लोकतंत्र है । भारतीय संस्कृति सबसे निराली है और परिवार ही सामजिक संगठन का मूल आधार है। जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष श्री भरत घई ने उदाहरण के माध्यम से संयुक्त परिवार की महत्ता को व्यक्त करते हुए कहा कि परिवार की उन्नति में संयुक्त परिवार की महत्वपूर्ण भूमिका है व संयुक्त परिवार से ही समाज की तरक्की निश्चित होती है। महिला सेल की डीएसपी सुश्री श्वेता शुक्ला ने अपने कार्यक्षेत्र के अनुभव साझा करते हुए बताया कि एकाकी परिवार, बच्चों में तनाव, बुजुर्गो की समस्या, पारिवारिक दंपत्ति के झगड़े, सामाजिक सुरक्षा एवं साइबर अपराध के मामले निरंतर बढ़ रहे हैं। परिवार परामर्श केंद्र की सलाहकार डॉ. श्रीमती डब्लू.एस.ब्राउन ने कहा कि वर्तमान समय में मानवीय संवेदना दिनोंदिन कम होती जा रही है। स्वागत उद्बोधन में सेमिनार की संयोजक व समाजशास्त्र की विभागाध्यक्ष डॉ.प्रतिभा श्रीवास्तव ने संगोष्ठी के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 21वीं सदी में परिवार व्यवस्था और मूल्यों में नवीन चुनौतियां उत्पन्न हुई हैं। आभार प्रदर्शन संगोष्ठी की सचिव डॉ.विनीता रामा और संचालन वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ.कविता शर्मा ने किया। इस अवसर पर डॉ.अमिताभ पांडे, डॉ.अर्चना मैथ्यू, डॉ.पी.एन.सनेसर, डॉ.बी.के.डहेरिया, डॉ.अनिल जैन, श्रीमती मनीषा आमटे, नेहा जैन, अनिल दुबे, महविद्यालय के प्राध्यापक, विभिन्न महाविद्यालयों से आये प्राध्यापक, समाजशास्त्र विभाग के विद्यार्थीगण उपस्थित थे।


