सच की आंखें न्यूज़ छिंदवाड़ा:-ग्राम पंचायत अडवार के वार्ड न.4 गोहजर गांव समीपस्थ कछारढाने में जहा पर 25 से 30 परिवार रहता है,जहा के लोगों को आज भी बारिश के बाद उफनाते नाले को पार करने के लिए जान जोखिम में डालनी पड़ती है. आजादी के सालों बाद भी लोगों को विकास की आस है. ग्रामीण और स्कूल जाने वाले बच्चों को हर रोज नाला पार करना पड़ता है. लोगों को उम्मीद है कि एक दिन सरकार उनकी समस्या को सुनेगी और उन्हें जान जोखिम में डालने वाली परेशानी से छुटकारा मिलेगा. बता दें कि नाले पर पुल न होने के कारण लोग जान जोखिम में डालकर नाले को पार करते हैं. ग्रामीणों ने कहा कि हमने विधायक, जिला पंचायत सदस्य, जनपद सदस्य व सरपंच व कलेक्टर से अपनी परेशानी बताई थी, लेकिन भी तक काम नहीं हुआ सिर्फ अश्वासन ही मिला है. स्कूली विधार्थियों ने कहा कि हमें रोज स्कूल जाने के लिए नाला पार करना पड़ता है. ग्रामीणो ने बताया उन्होंने के पंचायत स्थानीय जनप्रतिनिधि,जनपद व जिला पंचायत सदस्य से भी कई बार विधायक, और कलेक्टर से पुल के लिए गुहार लगा चुके हैं लेकिन उनके आवेदन पर कोई कार्यवाही अब तक नहीं हुई है.
पुलिया नही तो वोट नही,ग्रामीण कर रहे मतदान का बहिष्कार
वार्ड नंबर 4 ग्रामीण नाला पार कर करते है, कई बार पुलिया का निर्माण किए जाने को लेकर निवेदन कर चुके ग्रामीणों ने इस बार चुनाव का पूर्ण बहिष्कार करने का निर्णय बना लिया है उनका कहना है कि विधायक चुनाव के समय पर ही हमारी समस्याओं को पूरी करने की बात करते हैं लेकिन बाद में उसको भूल जाते हैं इसलिए उन्होंने चुनाव का बहिष्कार करने का पूर्ण सहमति से निर्णय लिया है।
इनका कहना
हमारे वार्ड के पास यह एक नाला है जहा बारिश में काफी पानी आ जाता है, जिसके कारण परेशानियों का सामना करना पड़ता है, इतना ही नहीं जान को जोख़िम में डालकर जाना पड़ता है। जब भी एक या डेढ़ इंच बारिश होती है तब हमारी यह समस्या और बढ़ जाती है। हमारा कोई भी काम हो तो हमें गोहजर गांव में जाना पड़ता है ओर हमें यह नाला किसी भी हाल में पार करना पड़ता है।
हीरालाल नागरे,ग्रामीण
इस वार्ड मे न तो स्ट्रीट लाइट, न नलजल योजना और न ही पक्की सड़क है,एक मात्र कच्ची सड़क है,कई बार शिकायत करने के बावजूद भी स्थिति वैसी की वैसी है।वही सीएम हेल्पलाइन मे शिकायत किए जाने के बाद बजरा डाला गया था वह भी बारिश में बह गया बच्चे, बूढ़े, बुजुर्ग कोई भी व्यक्ति हो अब आदत से मजबूर हो गए हैं, यहां तक कि अगर कोई बीमार हो गया बच्चे को स्कूल जाना है तो यही एक रास्ता है जो पार करना बेहद जरुरी बन जाता है।
सुखदेव नागरे,ग्रामीण

