भोपाल/छिन्दवाड़ा, 12 अक्टूबर 2025।
तमिलनाडु की दवा कंपनी की लापरवाही से हुई छिंदवाड़ा की दर्दनाक घटना पर मध्यप्रदेश सरकार सख्त रुख अपना रही है। उप मुख्यमंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल ने भोपाल स्थित निवास कार्यालय में खाद्य एवं औषधि प्रशासन की विस्तृत समीक्षा करते हुए कहा कि इस मामले में दोषियों पर कठोरतम कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु शासन एवं प्रशासन से सतत संपर्क में रहकर दोषी कर्मचारियों और जांच में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों दोनों के विरुद्ध सख्त कदम उठाए जाएं।
श्री शुक्ल ने कहा कि यह अत्यंत गंभीर अपराध है, जिसमें मध्यप्रदेश ने अपने कई मासूम बच्चों को खोया है। उन्होंने निर्देश दिए कि घटना की समग्र जांच कर संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी स्पष्ट की जाए और तमिलनाडु शासन को सभी तथ्यात्मक जानकारी भेजी जाए।
उप मुख्यमंत्री ने राज्य एवं केंद्रीय औषधि नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के साथ मिलकर पूरे मध्यप्रदेश में कफ सिरप निर्माताओं की सघन जांच के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि औषधियों की गुणवत्ता और कोडीन आधारित दवाओं के दुरुपयोग पर नियंत्रण के लिए नियमों का सख्ती से पालन कराया जाएगा। जांच में कोल्ड्रिफ़ सिरप, रिलाइफ़ सिरप और रिस्पीफ़्रेश टीआर सिरप की गुणवत्ता संदिग्ध पाई गई है, जिन पर निगरानी बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं।
मध्यप्रदेश सरकार के अनुरोध पर भारत सरकार ने डायथाइलीन ग्लाइकोल और इथिलीन ग्लाइकोल जैसे रसायनों की जांच को अब इंडियन फार्माकोपिया के जनरल मोनोग्राफ में शामिल कर लिया है। इससे भविष्य में दवा निर्माण के दौरान इन रसायनों की अनिवार्य जांच सुनिश्चित होगी।
कोडीन आधारित औषधियों की बिक्री पर भी नए दिशा-निर्देश लागू होंगे — अब थोक विक्रेता 1000 बोतल से अधिक और खुदरा विक्रेता 50 बोतल से अधिक बिक्री करेंगे तो इसकी जानकारी औषधि निरीक्षक को देना अनिवार्य होगा। साथ ही, इन दवाओं की बिक्री केवल पंजीकृत चिकित्सक के पर्चे पर ही संभव होगी।
श्री शुक्ल ने यह भी कहा कि शेड्यूल औषधियों की बिक्री केवल पंजीकृत फार्मासिस्ट की उपस्थिति में ही की जाए, अन्यथा कड़ी कार्रवाई होगी। दवा विक्रेताओं को चिकित्सक का नाम, पर्चे की तिथि और रोगी का विवरण बिक्री रजिस्टर में दर्ज करना अनिवार्य होगा।
राज्य में औषधि निगरानी व्यवस्था को मजबूत करने के लिए “ड्रग मॉनिटरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेडेशन योजना” शीघ्र तैयार की जाएगी। इसके तहत भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर की औषधि परीक्षण प्रयोगशालाओं का उन्नयन किया जाएगा। प्रयोगशालाओं में अत्याधुनिक उपकरण जैसे एचपीएलसी, जीएलसी, जीसीएमएसएम, एलसीएमएस, यूवी और डिसॉल्यूशन टेस्टर लगाए जाएंगे।
इसके अलावा एनएबीएल मान्यता प्रक्रिया, नए तकनीकी पदों का सृजन, प्रवर्तन इकाइयों की स्थापना और अधिकारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम भी प्रस्तावित हैं। इससे औषधि गुणवत्ता जांच की गति और पारदर्शिता दोनों बढ़ेंगी।
उप मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार का उद्देश्य दवाओं की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित कर जनता के स्वास्थ्य की रक्षा करना है। दोषियों को किसी भी स्थिति में बख्शा नहीं जाएगा।