आचार्य विद्यासागर गौ-संवर्धन योजना से आत्म-निर्भर
बने ग्राम तिगांव के युवा इंजीनियर मयूर चोपड़े
छिंदवाड़ा। जिल के युवाओं में स्व-रोजगार के प्रति रूझान बढ़ रहा है तथा वे पशुपालन की ओर आकर्षित हो रहे हैं । ऐसे युवाओं के लिये आचार्य विद्यासागर गौ-संवर्धन योजना वरदान साबित हो रही है । इस योजना के अंतर्गत जिले के विकासखंड पांढुर्णा के ग्राम तिगांव के युवा हितग्राही श्री मयूर चोपड़े गौ-पालन का व्यवसाय कर आत्म-निर्भर बन गये हैं तथा प्रतिमाह 25-30 हजार रूपये की आय प्राप्त कर रहे हैं । आचार्य विद्यासागर गौ-संवर्धन योजना ने श्री मयूर चोपड़े को प्रायवेट नौकरी कर रहे एक युवा शिक्षित इंजीनियर से एक कुशल पशुपालक व्यवसायी बना दिया है जिससे वह अत्यंत प्रसन्न और खुश है ।
ग्राम तिगांव के युवा हितग्राही मयूर चोपड़े पिता सुधाकर चोपड़े एक शिक्षित युवा हैं। उनके पिता के नाम से ग्राम तिगांव में लगभग ढाई एकड़ कृषि भूमि है जिसमें एक कच्चे शेड में 2 गाय व एक भैंस थी । उनके पिता के पास 2 संतरा बगीचे भी हैं । शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय पांढुर्णां से प्राचार्य पद से सेवानिवृत होने के बाद उनके पिता कृषि और उद्यानिकी का कार्य करने लगे हैं । मयूर चोपड़े ने बी.ई.इलेक्ट्रॉनिक करने के बाद लगभग 6 वर्षों तक एक प्रायवेट कंपनी में सर्किल इंजीनियर के पद पर कार्य किया, किन्तु वे अपनी इस नौकरी से संतुष्ट नहीं थे तथा जब भी अपने घर आते तो अपने पिता के साथ खेती और पशुपालन कार्य में सहयोग करते थे । उन्होंने प्रारंभ में बकरी पालन का कार्य भी किया । उनके मन में शुरू से ही कुछ नया और अच्छा करने की ललक थी तथा कृषि, उद्यानिकी व पशुपालन से पर्याप्त आय में बढ़ोतरी करना चाहते थे । इस दौरान वे पशुपालन विभाग के पशु चिकित्सा विस्तार अधिकारी पांढुर्णा डॉ.केतन सदाशिवराव पांडे के संपर्क में आये और उन्हें आचार्य विद्यासागर गौ-संवर्धन योजना की जानकारी मिली । इस योजना के अंतर्गत पात्र हितग्राही को अधिकतम 10 लाख रूपये तक का ऋण उपलब्ध कराया जाता है । इसमें सामान्य और अन्य पिछड़ा वर्ग के हितग्राही को 25 प्रतिशत व अधिकतम 1.50 लाख रूपये एवं अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के हितग्राही को 33 प्रतिशत व अधिकतम 2 लाख रूपये का अनुदान विभाग द्वारा दिया जाता है । हितग्राही को उसकी क्षमता के अनुसार 5 अथवा 10 देशी गाय या संकर गाय या भैंस उपलब्ध कराई जाती हैं । यह जानकारी मिलते ही श्री मयूर चोपड़े में पशुपालन के माध्यम से स्वयं का रोजगार स्थापित कर आत्म-निर्भर बनने के प्रति उत्साह जागृत हुआ ।
हितग्राही मयूर चोपड़े ने इस योजना के अंतर्गत केनरा बैंक से 8.40 लाख रूपये का ऋण स्वीकृत कराया जिसमें से विभाग द्वारा 1.50 लाख रूपये का शासकीय अनुदान दिया गया । ऋण और अनुदान की राशि से चोपड़े ने 10 गाय क्रय कर दुग्ध उत्पादन व विक्रय का व्यवसाय प्रारंभ किया । इस व्यवसाय में उन्हें पशुपालन विभाग द्वारा समय-समय पर तकनीकी और समेकित पशुपालन का मार्गदर्शन दिया गया जिससे वे अपने दुग्ध व्यवसाय में
आय की बढ़ोतरी कर सके । अपने व्यवसाय में गौ-वंश से उन्होंने प्रतिदिन न्यूनतम 14 लीटर और अधिकतम 50 लीटर दूध का उत्पादन लिया जिससे उन्हें प्रतिमाह लगभग 25 से 30 हजार रूपये की आय हो रही है । इस आय से वे हर 6 माह में अपने ऋण की किश्त का भुगतान भी कर रहे हैं । गौ-पालन के साथ ही वे मुर्गी पालन भी कर रहे हैं जिसमें वे 4-5 माह के दौरान 200-200 के स्लॉट में मुर्गी का विक्रय कर 30-40 हजार रूपये की अतिरिक्त आय प्राप्त कर रहे हैं । प्रायवेट नौकरी छोड़कर स्व-रोजगार के क्षेत्र में आने पर मयूर चोपडे अत्यंत प्रसन्न हैं तथा अब अपने पिता और बड़े पिता के साथ उनके कृषि, उद्यानिकी व पशुपालन के कार्य में सहयोग भी कर रहे है जिससे उनका पूरा परिवार भी आर्थिक रूप से सुदृढ़ व समर्थ होते जा रहा है । अपनी इस उपलब्धि व सफलता के लिये प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ ही कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत हरेन्द्र नारायाण, पशुपालन एवं डेयरी विभाग के उप संचालक डॉ.एच.जी.एस.पक्षवार और अन्य मैदानी अधिकारियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुये मयूर चोपड़े अन्य लोगों को भी इस योजना का लाभ लेने के लिये प्रेरित कर रहे हैं ।


