मोहखेड:-नौनिहालों का भविष्य संवारने के लिए सरकार भले ही तमाम कोशिशें कर रही हो, लेकिन कुछ सरकारी स्कूलों के जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारी सरकारी योजनाओं पर बट्टा लगाने का काम कर रहे हैं। विद्यालय शिक्षा का मंदिर होता है जहां पालक अपने बच्चों को ज्ञान अर्जित करने के लिए स्कूल भेजते हैं। ताकि बच्चा बड़ा होकर अपने पांव पर खड़ा हो सकें। बच्चों से स्कूल में किसी भी प्रकार का काम करवाना नियम विरुद्ध है। इसकी जिम्मेदारी गुरु की होती है और ऐसा करने वाले गुरु पर उंगली उठना लाजमी है कुछ ऐसा ही मोहखेड ब्लाक के ग्राम रजाडा हाईस्कूल स्कूल का है,20 सितंबर दिन मंगलवार को नवभारत टीम इसकी पड़ताल करने पहुची जहां पर करीबन 1 बजकर 31 मिनट पर सभी कमरे में शिक्षक बच्चों को पढ़ा रहे थे,वही प्राचार्य सुंदरलाल घाघरे अपने आफिस दफ्तर में 2 बच्चों को कुर्सी पर बैठाकर अपना निजी काम करा रहे थे.जब मीडिया ने उक्त बैंठे बच्चों की फोटो कैमरे में कैद की तुरंत प्राचार्य ने उन्हें काम बंद कर उन्हें आफिस से जाने के लिए कह दिया.उक्त बच्चों से इस तरह काम कराये जाने पर प्राचार्य से चर्चा कि तो उन्होंने इस बारे में कुछ कहने से मना कर दिया.बहरहाल यह तो पता चलता है किस तरह पर लापरवाही का आलम चल रहा है.जो संकुल प्राचार्य दूसरो को दिशानिर्देश देते उन्ही के मूल पदस्थापना स्कूल में ही मनमानी का दौर चल रहा है.इधर अपने स्कूल की लापरवाही सामने उजागर होने पर संकुल प्राचार्य लगातार राजनीतिक नेताओ व अन्य लोगो से मीडिया की आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है.
दरअसल रजाडा के प्राचार्य एस कुरमेती है जो इन दिनो सावरी संकुल कि जिम्मेदारी संभाल रहे है.यहा कि जिम्मेदारी प्रभारी प्राचार्य सुंदरलाल घाघरे को जिम्मेदारी सौपी है,जो नियम-कानून की धज्जियां उड़ाया जा रहे है।प्राचार्य घाघरे द्वारा स्कूली बच्चों की पढ़ाई के समय उनसे अपने आफिस बैठाकर अपने निजी काम करवाया जाता है.बता दे यहा पर पदस्थ एक शिक्षक को संकुल प्राचार्य ने अपने पास बाबू के रूप में अटैच कर रखा है.दरअसल संकुल प्राचार्य की राजनीतिक नेताओ से अच्छी सेंटिंग है जिससे जिले के अधिकारी इन पर कार्यवाही नही कर पाते है.


