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जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास श्रीमती कल्पना तिवारी रिछारिया ने बताया कि बच्चों ने अपना तर्क रखते हुये कहा कि अधिकांश अपराध तो उनके अपने जान-पहचान के लोग करते हैं। बच्चों ने तर्क दिए कि यौन हिंसा तो एक वर्ष से लेकर 70 वर्ष की आयु की बालिकाओं और महिलाओं के विरूध्द भी हो रहे हैं । ऐसे में उनके परिधान यौन हिंसा का कारण कैसे हो सकते हैं। वहीं कुछ बच्चों खासकर बालिकाओं ने तर्क दिए कि बालिकाओं और महिलाओं के छोटे कपडे पुरुषों को आकर्षित करते हैं जिसकी वजह से कई बार महिलायें हिंसा का शिकार हो जाती हैं। बच्चों ने विवाह की उम्र पर भी अपनी बेबाक राय दी। कार्यक्रम में किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य श्री श्यामल राव ने नाबालिगों द्वारा घटित और नाबालिग के विरूध्द यौन अपराधों के अपने अनुभव साझा किये। कार्यकम का संचालन ममता एच.आई.एम.सी नई दिल्ली के प्रतिनिधि श्री नीलेश दुबे द्वारा किया गया। कार्यकम के दौरान शासकीय हाई स्कूल मारई के प्राचार्य और सभी शिक्षक-शिक्षिकायें उपस्थित थीं।


