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प्रधान जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री जितेन्द्र कुमार शर्मा के निर्देशानुसार अखिल भारतीय विधिक जागरूकता व विधिक सहायता के माध्यम से नागरिकों का सशक्तीकरण और पहुंच अभियान के अंतर्गत "विधिक सेवा दिवस” के अवसर पर आज जिला जेल छिन्दवाड़ा में बंदियों के अधिकार, प्ली-बारगेनिंग और नेशनल लोक अदालत विषय पर विधिक जागरूकता शिविर संपन्न हुआ । कार्यक्रम में जिला न्यायाधीश/सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्रीमती सविता ओगले, श्री जिला विधिक सहायता अधिकारी रजनीश चौरसिया, उप अधीक्षक जिला जेल श्री ज्ञानांशु भारतीय, सहायक जेल अधीक्षक श्री आशीष मंजना, वरिष्ठ लिपिक श्री संतोष देवघरे, जेल स्टाफ व बंदी गण उपस्थित थे।
जिला न्यायाधीश/सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्रीमती ओगले ने कार्यक्रम में कहा कि कोई भी व्यक्ति स्वेच्छा से कारागार में प्रवेश नहीं लेता, बल्कि परिस्थितिवश उसे जेल में आना पड़ता है। आप अपने जेल में रहने के समय का सदुपयोग करें। जेल में नियमित रूप से योग, प्राणायाम, ध्यान आदि का अभ्यास कर अपने शरीर को स्वस्थ्य रखें। जो बंदी निरक्षर हैं, वह पाठशाला में अक्षर ज्ञान प्राप्त करें। उन्होंने प्ली-बारगेनिंग के संबंध में बताया कि प्ली-बारगेनिंग का शाब्दिक अर्थ सौदा अभिवाक होता है जो अभियुक्त व पीड़ित के मध्य एक प्रकार का अनुबंध है। इस प्रक्रिया के अंतर्गत स्वैच्छिक समाधान के उपरांत न्यायालय द्वारा फरियादी को क्षतिपूर्ति प्रदान की जाती है। यदि विधि में अपराध का न्यूनतम दण्ड प्रावधानित है, तो उस दण्ड के आधे भाग से दण्डित किया जाता है। उन्होंने प्ली-बारगेनिंग के माध्यम से प्रकरणों के निराकरण के संबंध में अपनायी जाने वाली प्रक्रिया और लाभ से बंदीगण को अवगत कराया। साथ ही माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सोनाधर विरूध्द छत्तीसगढ़ राज्य में जेल बंदियों के संबंध में पारित आदेश के विषय पर विस्तृत रूप से जानकारी दी।
जिला विधिक सहायता अधिकारी श्री चौरसिया ने कहा कि जेल में निरूध्द बंदियों को अपने प्रकरण एवं अपील प्रस्तुत करने के लिये निःशुल्क विधिक सहायता प्राप्त करने का अधिकार है। इसमें उन्हें शासन के व्यय पर अधिवक्ता उपलब्ध कराया जाता है। ऐसे बंदी जिनके प्रकरण में अधिवक्ता नियुक्त नहीं हैं, वे योजना के अंतर्गत अधिवक्ता लगाना चाहते हैं तो अपना आवेदन जिला जेल अधीक्षक के माध्यम से विधिक सहायता कार्यालय में प्रेषित कर सकते हैं। उन्होंने आगामी 12 नवंबर को आयोजित होने वाली नेशनल लोक अदालत में रखे जाने वाले राजीनामा योग्य प्रकरणों के संबंध में बंदीगण को जानकारी देकर लोक अदालत में प्रकरणों के निराकरण में होने वाले लाभ के बारे में भी जानकारी दी। कार्यक्रम के अंत में बंदियों से उनकी समस्याओं के संबंध में जानकारी ली जाकर उन्हें समाधान बताया गया।


