प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा रविवार को पणजी में नौवें विश्व आयुर्वेद कांग्रेस एवं आरोग्य एक्सपो के समापन सत्र को संबोधित किया और गोवा, दिल्ली और गाजियाबाद में 970 करोड़ रूपये की लागत से निर्मित परंपरागत चिकित्सा पर आधारित तीन आयुष संस्थानों का आनलाइन लोकार्पण किया। इस कार्यक्रम में जिला आयुष अधिकारी डॉ.दत्तात्रेय भदाड़े के मार्गदर्शन में आयुष विभाग के डॉ.हरीश सतनामी, डॉ.रश्मि नेमा व योग प्रशिक्षक डॉ.पवन नेमा ने आयुष विभाग का प्रतिनिधित्व करते हुये सहभागिता की । इस सम्मेलन में 50 देशों के 5 हजार प्रतिनिधियों ने स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद पर विमर्श किया।
जिला आयुष अधिकारी डॉ.भदाड़े ने बताया कि कार्यक्रम में प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि ज्ञान-विज्ञान से विश्व कल्याण का संकल्प अमृत काल का बड़ा लक्ष्य है। आयुर्वेद इसका बड़ा माध्यम है। आयुर्वेद और योग को साथ लेकर चलने की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि पहले इन्हें उपेक्षित समझा जाता था, लेकिन आज नई उम्मीद है। वैश्विक स्वीकार्यता बनाने में इतना समय इसलिए लगा, क्योंकि हमारे पास इस पध्दति का प्रभाव व परिणाम तो था, लेकिन प्रमाण में पीछे थे। बीते वर्षों में बड़े पैमाने पर काम हुआ और डाटा के लिए बनाए गए पोर्टल पर अब 40 हजार डाटा मौजूद हैं। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने विश्व को आयुर्वेद चिकित्सा पध्दति को अपनाने पर जोर देते हुये कहा कि यह पहली ऐसी चिकित्सा पध्दति है जो बीमारी से पहले ही स्वास्थ्य का ख्याल करती है। विश्व के 30 देशों ने इसे मान्यता दे रखी है। इसी उद्देश्य से एम्स की तर्ज पर राष्ट्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान खोला जा रहा है जिसकी तारीफ विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी की है। विगत 8 वर्षों में आयुष इंडस्ट्री 20 हजार करोड़ रुपये से बढ़कर डेढ़ लाख करोड रूपये की हो गई है।


