निगम क्षेत्र में सावित्रीबाई फुले की प्रतिमा स्थापना की मांग - एड. लोखण्डे
छिंदवाडा दिनॉक 03.01.2023:- भारतीय बौध्द महासभा प्रदेष प्रवक्ता एड. रमेष लोखण्डे के जन्म दिवस के अवसर पर भारतीय बौध्द महासभा द्वारा गोधुली वृध्दाश्रम छिंदवाड़ा में सावित्री बाई फुले की 192वी जयंती समारोह का आयोजन किया गया सर्वप्रथम प्रदेष प्रवक्ता एड रमेष लोखण्डे उपस्थित पदाधिकारी एवं वृध्दजनों द्वारा वृध्दाश्रम परिसर में पौधारोपण किया तदोपरांत सर्वप्रथम सावित्रीबाई फुले के छायाचित्र पर माल्यापर्ण प्रदेष प्रवक्ता एड रमेष लोखण्डे, जिला उपाध्यक्ष एड. राजेष सांगोडे, दलित मुक्ति सेना महिला प्रकोष्ठ जिला अध्यक्ष संतोषी गजभिये, रमाबाई सुखदेेवे, ममता लोखण्डे, जयभीम सामाजिक संगठन जिला अध्यक्ष षिवम पहाडे, ओ.बी.सी. महासभा जिला अध्यक्ष विपिन वर्मा, राष्ट्रीय सचिव एड. देवेन्द्र वर्मा, अनिल गजभिये, श्याम रंगारे, मोहित मानकर, ओम पहाडे, हर्षित बेलवंषी, अरविंद यादव, दिनेष इवनाती, सुरेन्द्र पाल, मदन बरखाने
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वृध्दाश्रम के वृध्दजनो द्वारा माल्यापर्ण किया तदपष्चात् वृध्दजनों का पुष्पमाला द्वारा स्वागत किया गया जयंती समारोह को प्रदेष प्रवक्ता एड रमेष लोखण्डे द्वारा संबोधित करते हुए सर्वप्रथम सावित्रीबाई फुले जयंती की सम्पूर्ण देषवासियांे को बधाईयॉ प्रेषित की गई एवं उनके जीवन पर बोलते हुए कहा कि उनका जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था उनका विवाह 1840 में ज्योतिबा फुले के साथ सम्पन्न हुआ उस समय देष में नारी षिक्षा प्रतिबंधित थी उन्हें षिक्षा प्राप्त नहीं करने दिया जाता था तब उनके पति महात्मा ज्योतिबा फुले द्वारा सावित्रीबाई फुले को स्वयं उन्होनें पढाया उस समय महिलाओं को पढाना पाप समझा जाता था स्त्री षिक्षा पर बंदिष थी उस समय सावित्रीबाई फुले ने 1848 में पुना में प्रथम महिला स्कूल प्रारंभ किया था लोग उनपर पत्थर कीचड फेंकते थे फिर भी सावित्रीबाई फुले निर्भिकता से महिलाओं को पढाते रही सावित्रीबाई फुले महिला अधिकारों के लिए सघर्ष करने वाली प्रथम समाज सुधारक थी वे कहती थी स्वाभिमान से जीने के लिए पढाई करो पाठषाला इंसान का सच्चा गहना है यह सम्पूर्ण देषवासियों से कहती थी। सावित्रीबाई फुले ने बाल विवाह, सतीप्रथा जैसे सामाजिक बुराईयों के खिलाफ निरंतर संघर्ष विधवाओं को षिक्षित और सषक्त बनाकर उनके पुनः विवाह का समर्थन किया, छुआछुत जाति प्रथा के उन्मूलन में अपने पति के साथ मिलकर कार्य किया सावित्रीबाई फुले द्वारा खोले गये स्कूल का परिवार और समुदाय के लोगो द्वारा बहिस्कार कर दिया गया था लेकिन फुले दम्पति को एक दोस्त उस्मान शेख और उनकी बहन फातिमा शेख ने आश्रय दिया था जिन्होनें स्कूल शुरु करने के लिए अपने परिसर में फुले को स्थान दिया था सावित्रीबाई फुले स्कूल की प्रथम षिक्षिका थी ज्योतिबा फुले एवं सावित्रीबाई फुले ने अस्पृस्य व अछूत माने जाने वाली जातियों के बच्चों के लिए स्कूल प्रारंभ किये 16 नवम्बर को ब्रिटिष सरकार ने फुले परिवार को षिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए
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सम्मानित किया एवं सावित्रीबाई फुले को सर्वश्रेष्ठ षिक्षिका का नाम दिया गया उस वर्ष उन्होनें महिलाओं के बीच अपने अधिकार गरीमा और अन्य सामाजिक मुद्दो के बारे में जागरुकता पैदा करने के उद्देष्य से महिला सेवा मण्डल भी शुरु किया वह विधवाओं के बाल मुंडवाने के मौजूदा परम्परा का विरोध करने के लिए मुम्बई और पुणे में नाई की हडताल आयोजित करने में सफल रही थी। लोखण्डे द्वारा सावित्रीबाई फुले के आदर्षो पर चलकर षिक्षा के क्षेत्र में प्रगति करने की बात कही इस अवसर पर शासन प्रषासन से शहर में सावित्रीबाई फुले की प्रतिमा स्थापना किये जाने की मांग की एवं अपने जन्म दिवस के अवसर पर बधाईकर्ताओ का धन्यवाद व्यक्त किया सावित्रीबाई फुले जयंती पर वृध्दाश्रम के वृध्दजनों को नववर्ष की शुभकामना देते हुए उनसे आर्षीवाद प्राप्त किया एवं समारोह के अंत में उन्हें फल एवं ब्रेड वितरित किये गये। समाज सेवक रमेष लोखण्डे को उनके जन्मदिवस के अवसर पर भारतीय बौध्द महासभा विभिन्न सामाजिक संगठनों के वरिष्ठ पदाधिकारी, समाजसेवको, मित्रगणो, समर्थको एवं शुभचिंतको द्वारा जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनायें प्रेषित की गई।
एड. रमेष लोखण्डे
प्रदेष प्रवक्ता
भारतीय बौध्द महासभा म.प्र.
मोः 8305606578