बालक अंशुल के माता-पिता का साया सिर से उठ जाने के कारण वह बचपन में ही अनाथ हो गया था। अंशुल के नाना-नानी उसका पालन पोषण कर रहे थे।
अनाथ बालक अंशुल के लिए मददगार बनी मुख्यमंत्री बाल आशिर्वाद योजना बालक अंशुल के माता-पिता का साया सिर से उठ जाने के कारण वह बचपन में ही अनाथ हो गया था। अंशुल के नाना-नानी उसका पालन पोषण कर रहे थे। लेकिन गरीबी के कारण उन्हें भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। बालक अंशुल का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा था। लेकिन ऐसे में मध्यप्रदेश शासन की मुख्यमंत्री बाल आशिर्वाद योजना उसके लिए मददगार बन कर आयी है। इस योजना की मदद से अब अंशुल का भविष्य भी उज्जवल बन सकेगा। बालक अंशुल बोमचेर लालबर्रा विकासखंड के ग्राम खामघाट में अपने नाना-नानी के पास रहकर पढ़ाई कर रहा है। अंशुल जब मात्र 08 माह का था, तभी उसकी माता हेमलता का अगस्त 2009 में निधन हो गया था। मां के गुजरने के बाद उसके पिता शिवलाल ने उसकी देखरेख की। अंशुल अब कुछ संभलने लगा था तो उसके नाना-नाना उसे अपने गांव खामघाट लेकर आये गये। वर्ष 2017 में अंशुल के पिता शिवपाल का भी निधन हो गया। अब अंशुल पूरी तरह से अनाथ हो गया था और उसका भविष्य सुरक्षित नहीं लग रहा था। अंशुल के नाना-नानी की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण उन्हें भी अंशुल के पालन-पोषण में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। मध्यप्रदेश शासन द्वारा कोविड-19 के दौरान अनाथ बच्चों को ध्यान में रखकर मुख्यमंत्री बाल आशिर्वाद योजना लागू की गई तो ग्राम खामघाट की आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ता मुहेश्वरी बिसेन ने अंशुल के नाना-नानी को इस योजना के बारे में बताया और अंशुल को इस योजना का लाभ दिलाने के लिए हर संभव प्रयास किया। आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ता के प्रयासों से बालक अंशुल को मुख्यमंत्री बाल आशिर्वाद योजना की स्वीकृति मिल गई है। अंशुल वर्तमान में शासकीय माध्यमिक शाला खामघाट में कक्षा 08 वीं में अध्यनरत है। अब अंशुल को 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने तक हर माह 04-04 हजार रुपये की राशि उसके पालन-पोषण के लिए मिलेगी। इस राशि के मिलने से अंशुल के नाना-नानी को उसके पालन-पोषण में सहूलियत हो जायेगी। आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ता मुहेश्वरी बिसेन बालक अंशुल के सम्पर्क में रहती है और बताती है कि मुख्यमंत्री बाल आशिर्वाद योजना अनाथ बालक अंशुल का भविष्य संवारने में निश्चित रूप से मददगार बनेगी।

