जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बालाघाट द्वारा श्री दिनेश चन्द्र थपलियाल प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के मुख्य आतिथ्य में जिला न्यायालय बालाघाट के सभाकक्ष में ‘‘कार्यस्थल पर महिलाओं का लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम 2013‘‘ विषय पर
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कार्यस्थ पर महिलाओं का लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम 2013 विषय पर कार्यशाला का आयोजनजिला विधिक सेवा प्राधिकरण बालाघाट द्वारा श्री दिनेश चन्द्र थपलियाल प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के मुख्य आतिथ्य में जिला न्यायालय बालाघाट के सभाकक्ष में ‘‘कार्यस्थल पर महिलाओं का लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम 2013‘‘ विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का शुभांरभ प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री दिनेशचन्द्र थपलियाल द्वारा दीप प्रज्जवलन कर किया गया। इस अवसर पर विशेष न्यायाधीश एट्रोसिटीज श्री रविन्द्र सिंह कुशवाह, जिला न्यायाधीश श्री अमर कुमार शर्मा, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री आसिफ अब्दुल्लाह, विशेष न्यायाधीश पॉक्सो श्रीमती नौशीन खान, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्री संजीव कटारे, न्यायिक मजिस्ट्रेट श्रीमती प्रियंका विश्वकर्मा, श्री विकास विश्वकर्मा, श्री दयाल सिंह सूर्यवंशी, श्रीमती तारा मार्को, श्री भूपेन्द्र सिंह मरकाम, प्रशिक्षु न्यायाधीश सुश्री शिखा शर्मा, जिला विधिक सहायता अधिकारी श्री जीतेन्द्र मोहन धुर्वे एवं समस्त महिला अधिवक्तागण व कर्मचारीगण उपस्थित रहें।कार्यशाला में श्रीमती नौशीन खान विशेष न्यायाधीश पॉक्सो द्वारा उपस्थित महिलाओं को ‘‘कार्यस्थल पर महिलाओं का लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम 2013 के प्रावधानों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह अधिनियम लैंगिक उत्पीड़न से संरक्षण तथा गरिमा से कार्य करने का अधिकार महिलाओं को प्रदान करता है, उन्होने यह भी जानकारी दी कि कार्यस्थल का प्रत्येक नियोजक लिखित आदेश द्वारा आंतरिक परिवाद समिति का गठन करेगा, जिसमें नाम निर्देशित कुल सदस्यों में से आधी सदस्य महिलाएं होंगी। साथ ही श्रीमती प्रियंका विश्वकर्मा न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा उक्त अधिनियम के प्रावधान के बारे में जानकारी देते हुए लैंगिक उत्पीड़न की परिभाषा को विस्तार से बताया, साथ ही परिवाद की समय सीमा व प्रक्रिया एवं स्थानीय परिवाद समिति के गठन के बारे में विस्तृत जानकारी दी। श्रीमती प्रियंका विश्वकर्मा द्वारा यह भी कहा गया कि महिलाओं को स्वयं जागरूक होना बहुत आवश्यक है। कार्यशाला में 70 से अधिक की संख्या में महिला कर्मचारीगण व अधिवक्तागण उपस्थित रही।