अमरवाड़ा की सुयश लोक रंग संस्था के बाल कलाकारों ने बढ़ाया प्रदेश का गौरव
अमरवाड़ा सुयश संस्था के लोकनाट्य कार्यशाला में प्रशिक्षित अमरवाड़ा के बाल कलाकारों ने प्रस्तुति दी जिसमें नूतन कला निकेतन दौरा बालाघाट में हो रहे तेरहवें राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव के आमंत्रण पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बादल भोई के स्वतंत्रता संग्राम में दिए योगदान और उनके बलिदान को मंच पर जीवंत किया । 11 वर्ष से 14 वर्ष के बाल कलाकारों ने दर्शकों का मन मोह लिया । नाटक की पृष्ठभूमि ग्राम के एक आदिवासी बुर्जुग से प्रारंभ होती है जो गांव में खेल रहे बच्चो को बुलाकर बादल भोई के जीवन संघर्षों पर नाटक खेलने को कहता है और कहानी के माध्यम से बादल भोई के जल जंगल और जमीन के संघर्ष को चित्रित करने को कहता है कुछ ही देर में बच्चे कहानी में इतने लीन हो जाते है की बादल भोई की कथा के चरित्र बन जाते है और बादलभोई और अंग्रेजो के संघर्ष को जीवंत कर देते है अंत में जब अंग्रेज छल पूर्वक जेल में कैद बादल भोई के भोजन में जहर मिला देते है और उनकी हत्या कर देते है तब बच्चो की भावनाएं आंसुओ में परिणित होकर बाहर निकल आती है प्रदर्शन के पश्चात राष्ट्रीय नाट्य समारोह में उपस्थित दर्शकों की आखें भी नम हो गई नाटक में दादा और बच्चो के लोक बोली में कहे संवाद गेड़ी शैला नृत्य और बच्चो के द्वारा अंग्रेजो और आदिवासियों के संघर्ष के दृश्यों ने सभी दर्शकों का मन मोह लिया ।नाटक में दादा के किरदार में अंबर तिवारी बादल भोई की माता के रूप में प्रियाशा करपे पिता के रूप में केशव यादव बादल भोई के रूप में धर्मेंद्र कुर्चे पत्नी के रूप में खुशी यादव खेड़पती माता के रूप में नंदनी बंजारा ग्रामीण के रूप में ज्योति विश्वकर्मा एवम रूपाली यादव आदिवासी बुर्जुग के रूप में मोनिका वर्मा अंग्रेज के रूप में सत्यम साहू आदि कलाकारों ने दर्शकों का मन मोहा । वही सोनू यादव एवम प्रदीप कहार ने नाटक का संगीत एवम प्रकाश व्यवस्था सम्हाली ।नाटक की परिकल्पना एवम निर्देशन सुयश संस्था के अध्यक्ष अंबर तिवारी ने किया। प्रस्तुति में मध्यप्रदेश के आदिवासी लोक नायक बादल के अपनी मातृभूमि के संघर्ष को राष्ट्रीय मंच पर जीवंत किया ।

