उजाड़ होता जुन्नारदेव, बंद होती खदानें, अपनी पहचान खोता क्षेत्र
गृह मंत्री की घोषणा के बाद भी नहीं चालू हुई खदानें
सच की आंखें जुन्नारदेव ---- साल 2023 के जाने के साथ ही जुन्नारदेव क्षेत्र से भी कई सुविधा छीनी जाना तय माना जा रहा है जिसमें मुख्य तौर पर अपनी मुख्य पहचान खदानों का अस्तित्व बचाने में भी अब क्षेत्र नाकाम सा नजर आ रहा है जहां पर साल 2023 में अनेकों सुविधा कन्हान क्षेत्र से समाप्त होने की संभावनाएं अब हकीकत में प्रतीत होती नजर आ रही है जिसका मुख्य कारण क्षेत्र के जनप्रतिनिधि राजनेताओं की निष्क्रियता को कहां जाना उचित होगा। क्षेत्र के अस्तित्व को बचाने के लिए जहां ना तो जनप्रतिनिधि सक्रिय दिखे और ना ही राजनेताओं ने ऐसा कुछ काम किया जिससे कन्हान का अस्तित्व बच सके कोयलांचल के रूप में पहचान बनाने वाला जुन्नारदेव अब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ता नजर आ रहा है और इसे बचाने के लिए कुछ सामाजिक और कुछ श्रमिक संगठनों के अतिरिक्त किसी भी प्रकार के प्रयास नहीं किया जा रहे हैं।
गृह मंत्री की घोषणा के बाद भी नहीं चालू हुई खदानें ---- बीते विधानसभा चुनाव के पूर्व भाजपा के गृहमंत्री अमित शाह का जुन्नारदेव दौरा हुआ था इस दौरान उनके द्वारा मंच से घोषणा की गई थी कि क्षेत्र में नई खदानें खोले जाने और पुरानी खदानों के अस्तित्व को बचाए जाने की पहल कर दी गई है और आगामी दिनों में नई खदानें खुली हुई नजर आएगी किंतु गृह मंत्री की घोषणा के बाद भी अब वर्तमान में क्षेत्र की खदानों का लगातार पतन गृह मंत्री की घोषणा पर ही सवालिया निशान खड़ा कर रहा है कुछ खदानें जो फॉरेस्ट की अनुमति न मिलने के चलते शुरू नहीं हो पाई थी उसे लेकर गृहमंत्री का बयान की फॉरेस्ट से चुनाव के उपरांत अनुमति मिल जाएगी पूर्णतः झूठा साबित हो चुका है और कान्हा क्षेत्र की खदानों से अन्यत्र क्षेत्र में कामगारों का स्थानांतरण किया जा चुका है ऐसे में कन्हान क्षेत्र पूर्णता अपने अस्तित्व को खोट नजर आ रहा है।

