लोधेश्वर नीमढाना की बन्द हो चुकी ओपन कास्ट खंती से माफिया निकलवा रहा कोयला
घोरावाड़ी।।
नीमढाना की बन्द हो चुकी लोधेश्वर ओपन कास्ट खंती से जबरदस्त कोयला पार कर रहे है ।कोयला माफिया इस इलाके से कोयले की तस्करी के लिए आसपास के युवा गरीब बेरोजगारों को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है दिन और रात आसपास के बेरोजगार युवा जान जोखिम में डाल कर शातिर कोयला माफिया के लिए कोयले की बोरिया इकट्ठी करते है ।
कोयला क्षेत्र में वेकोलि की बन्द खदानें अभी भी कोयला माफिया के लिए वरदान बन गयी है । जाड़े का मौसम आते ही क्षेत्र में अवैध कोयले के कारोबारी सक्रिय हो गए है । कोल इंडिया जैसी देश की सबसे कोयला कम्पनी को भले ही क्षेत्र में कोयला खदानों के लिए बहुत सारी कागजी कार्रवाई से गुजरना पड़ता हो इन माफियाओं को ऐसा कुछ नही करना पड़ता महज सत्ता के स्थानीय आकाओं से गठजोड़ से उन्हें कार्यकर्ता मिल जाते है और उनके आशीर्वाद से इनका अवैध कारोबार शुरू हो जाता है ।
इस समय कोयले का कारोबार लोधेश्वर की बन्द खंती समेत
धाऊ ,हर्राडोल ,नंदन, घोरावाड़ी की बन्द हो चुकी ओपनकास्ट खदान से कोयले का अवैध खनन शुरू करके कोयला व्यापार शुरू हो चुका है । अवैध तरीके से इकट्ठे किए गए कोयले को कोयले के अवैध कारोबारी सेटिंग के जरिए ग्रामीण अंचल के ईट भट्टों के संचालको को बेचा जा रहा है ।
दमुआ और घोरावाड़ी का अवैध कोयला इन दिनों ज्यादातर नवेगांव मुलताई आमला बोरदेही मोरखा और जिले में उमरेठ गांगीवाड़ा बेल्ट में खपाया जा रहा है ।
ऐसे हो रहा कोयले का अवैध संग्रहण ।।
वेकोलि की लोधेश्वर स्थित ओसी घोरावाड़ी की 16 -17 और हर्राडोल भूमिगत और धाऊ की खंतियो में जहां कोयला के खनन के लिए मजदूरों को ज्यादा माथापच्ची नही करनी पड़ती वहाँ माफिया ग्रामीण मजदूरों को कोयले से भरी बोरियों की दर से नगद मजदूरी देकर कोयला इकट्ठी करवाता है । बोरिया के संग्रह को बाद में पिकअप वाहन से ईंट भट्टों और बाहर के ठिकानों पर बेच दिया जाता है ।खास बात यह है कि जान की जोखिम पर कोयले के काले धंधे में जहां कोयले की खुदाई कर उसे बाहर लाने वाले मजदूरों को महज अस्सी से सौ रुपये प्रति बोरी पर संतोष करना पड़ता है वही कोयला माफिया इन बोरियों को ढाई से तीन सौ रुपये प्रति बोरी के हिसाब से बेच कर मालामाल हो रहे है ।
कोयले के काले खेल में नजराने की सेटिंग इतनी जबरदस्त होती है कि कोई भी जिम्मेदार विभाग इसमे हाथ नही डालता सब के सब मौन साधे रहते है । खादी से खाकी तक और वेकोलि के सुरक्षा अमले सहित ,खनिज ,पुलिस और वन विभाग सभी का मौन बताता है कि इस धंधे में संरक्षण की बड़ी लाइन होती है ।
क्षेत्र के बेरोजगार खास तौर पर नशाखोर बन चुके युवा इनके लिए बड़े काम के मजदूर साबित होते है जो महज थोड़े से पैसों के लिए अपनी जान को जोखिम में डालकर इनके कोयले के धंधे को सहारा देते है ।

