जुन्नारदेव ---- जिस प्रकार सागर में हमेशा लहरें उठती हैं उसी प्रकार हमारा मन विवेक सागर के समान है जिसमें हमेशा विचारों की लहरें उठती रहती है, इसमें नकारात्मक ज्यादा होती है। असुरों और देवताओं के बीच में जब सागर को मंथन किया गया, तो उसमें से जहर निकाला और उसे परमात्मा ने स्वीकार किया, इसी प्रकार से मेडिटेशन भी है हमारे अंदर की जहर रूपी बुराइयां सबसे पहले बाहर निकलती है पुरानी बातें पुरानी घटनाएं जिनको हम भूल नहीं पाते हैं दबाकर रख लेते हैं, लेकिन जब हम मेडिटेशन करने के लिए बैठते हैं ,उस समय वह पुरानी बातें पुरानी घटनाएं याद आती है, मन को डिस्टर्ब करती हैं उस समय घबराना नहीं है, हमेशा के लिए आपकी बुराइयां आपसे विदाई ले रही है, बाद में फिर से मंथन में सोने की थालियां, सोना, चांदी, हीरा निकला हुआ था वह हमारी अच्छाइयों का प्रतीक है। जब मेडिटेशन करते हैं तो हमारे अंदर अच्छे संस्कार अच्छी आदत बनती ही है और फिर संस्कार से ही संसार बनता है तो सारा खेल विचारों से है विचार बदले संस्कार बदले और संस्कार से संसार बदला, और हमारे संसार में एक बहुत अच्छी संस्कृति आई देवताई संस्कृति तो जब हमने इस कलयुग को घोर कलयुग बना दिया हैं ,सतयुग भी बना सकते हैं सतयुग बनाने के लिए स्वर्णिम दुनिया बनाने के लिए सिर्फ मां को ही स्वर्ग बनाना है मां स्वर्ग बन गया तो दुनिया स्वर्ग बन जाएगी पहले मन के विचारों को श्रेष्ठ बनाएं मन में स्वर्ग का वेलकम करें तो फिर हम श्री कृष्णा रामराज का वेलकम करेंगे। प्रवचन उपरांत राजयोगिनी वर्षा दीदी श्रीमद् भागवत गीता ज्ञान के दीप प्रजालान में ब्रह्माकुमारी राजनी दीदी, ने भ्राता शरद माहौर विधायक सहयोगी, ब्रह्माकुमारी नीलू, रोशन लाल साहू एवं पतंजलि परिवार उपस्थित थे। प्रतिदिन सुबह 7 से 8 तन और मन की स्वास्थ्य के लिए एक्सरसाइज म्यूजिक एक्सरसाइज भी की जा रही है जिससे अनेकों लाभ लिया।
मानव का मन सागर की लहर सामान जिसमें उठती है सकारात्मक और नकारात्मक लहरें - राज योगिनी वर्षा दीदी
March 15, 2024
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मानव का मन सागर की लहर सामान जिसमें उठती है सकारात्मक और नकारात्मक लहरें - राज योगिनी वर्षा दीदी
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