11 साल से नई हुई टंकी की साफ सफाई
पंचायत द्वारा कागजों पर ही की डिस्मेंटल जर्जर टंकी से की जा रही जलापूर्ति
सौसर क्षेत्र के ग्राम पंधराखेड़ी की पानी की टंकी 2014 के पूर्व जर्जर होने को लेकर कांग्रेस दल के लोगों ने ज्ञापन दिया था यह पानी की टंकी एक लाख लीटर क्षमता की टंकी से आज भी जलापूर्ति की जा रही है टंकी की सीढ़ियां टूट चुकी है टंकी पर चढ़ना संभव नहीं है जर्जर होने की अवस्था में इस टंकी की सफाई भी नहीं की हुईं हैं ऐसे में ग्रामीणों का आरोप है कि 11 साल से अधिक टंकी की सफाई नहीं हो पाई है इसी टंकी का पानी ग्रामीणों को पिलाया जा रहा है तो पंचायत के सरपंच व सचिव टंकी को डिस्मेंटल करने की कवायत कागज की कार्रवाई में पूरी की गई है बल्कि इस धरातल पर देखा जाए तो इसी टंकी से पानी की जलापूर्ति आज भी की जा रही है इसमें झूलती हुई सीढ़ियां के गिरने से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है इसके बाद भी जिम्मेदार सरपंच और ना ही सचिव ध्यान दे रहे हैं तो वहीं ग्रामीण अब सीएम हेल्पलाइन का सहारा लेने लगे हैं परंतु आखिरकार इससे भी निराकरण नहीं हुआ ऐसे में कांग्रेस के क्षेत्रीय कार्यकारी अध्यक्ष युवराज पराड़कर ने 2014 में ग्रामीणों के साथ तहसीलदार ज्योति ढोक से मिलकर टंकी की जर्जर हालत के बारे में ज्ञापन भी दिया गया था नई टंकी के लिए 2014 के पहले 90 लख रुपए की राशि भी मंजूर होने की बात आई थी परंतु आज भी यहां ना तो टंकी का नए रूप से निर्माण कार्य हुआ है और ना ही इस टंकी को धरातल पर डिस्मेंटल किया गया है जानकारी के अनुसार यह भी बताया जा रहा है कि पूर्व जिला पंचायत सदस्य करुणा रामकृष्ण वाकोडे की निधि से 6 लाख से पानी की टंकी से लेकर माध्यमिक विद्यालय तक पाइपलाइन बिछाने को लेकर घरेलू नलों में पानी पहुंचाने में कवायद की गई थी परंतु इस पाइपलाइन का आनंन फानन में बिछाया गया परंतु आज भी इस पाइपलाइन से पानी नहीं दिया जा रहा है ऐसे में इस पाइपलाइन की 6 लाख राशि में भी भ्रष्टाचार होने की बात सामने आ सकती है ऐसे में जानकारों का यह भी कहना है कि पंचायत सचिव ने अपने चहेते को पाइपलाइन बिछाने का काम देने की खबरें भी चल रही है अब देखना है यह है कि पंचायत सचिव के इस भ्रष्टाचार पर आधिकारि कब तक नजर उठाते हैं या यूं ही इस पंचायत में भ्रष्टाचार और लीपा पोती के कार्य आगे भी देखने को मिल सकती है ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि यदि इस पंचायत में सही मायने में कई निर्माण कार्य की जांच हो जाए तो कहीं खुला से भी हो सकते हैं और इसमें के ग्रामीण भ्रष्टाचार की जड़ को खत्म किया जा सकता है ऐसे में कई ग्रामीण के आरोप है कि यदि सीएम हेल्पलाइन किसी कार्य को ना होता देख लग रहे परंतु फिर भी पंचायत में होने वाले भ्रष्टाचार को लेकर जनपद में बैठे आल्हा अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है अब ऐसे में देखना है कि इन निर्माण कार्य में होने वाले भ्रष्टाचार की जांच कब तक होती है

