छिन्दवाड़ा/ 08 सितंबर 2024/ राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, इसने कई महिलाओं की जिंदगी बदल दी है। आजीविका मिशन से प्रेरणा लेकर छिंदवाड़ा जिले के तामिया ब्लॉक के मोयापानी गांव की श्रीमती जयपाली मरकाम दीदी ने भी अपने जीवन की दिशा बदलते हुए एक सफल कपड़ा व्यवसायी बनने का सफर तय किया है। जयपाली दीदी जो अनुसूचित जनजाति से आती हैं, आज एक प्रेरणादायक उदाहरण हैं कि सही दिशा, परिश्रम और सरकारी योजनाओं का सही उपयोग किस तरह जीवन को साकारात्मक मोड़ दे सकता है।
गरीबी से संघर्ष- 32 वर्षीय जयपाली दीदी का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ। पढ़ाई में रुचि होने के बावजूद परिवार की आर्थिक स्थिति ने उन्हें जल्दी ही जिम्मेदारियों में धकेल दिया। 2014 में उनका विवाह ग्राम मोयापानी के श्री शैलेस मरकाम से हुआ, लेकिन दोनों पति-पत्नी मजदूरी कर भी अपने परिवार का भरन-पोषण करने में असमर्थ थे। कई बार ऐसा समय भी आया कि उनके पास खाने तक के लिए पैसे नहीं थे और उन्हें खाली पेट सोना पड़ता था।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ाव- जयपाली दीदी की जिंदगी में बदलाव तब आया जब उन्होंने 30 जनवरी 2018 को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत ' मां नैना आजीविका स्व सहायता समूह' से जुड़ने का फैसला किया। समूह से जुड़ने के बाद उन्हें समूह की बचत से 10,000 रुपये का ऋण मिला जिससे उन्होंने कपड़े का छोटा सा व्यवसाय शुरू किया। पहले वह बाजार जाकर कपड़े बेचती थीं और यहीं से उनके व्यवसाय के सफर की शुरुवात हुई।
सफलता की राह- जयपाली के पहले प्रयास सफल रहे और 2019 में उनके समूह को मध्यप्रदेश ग्रामीण बैंक तामिया से 01 लाख रुपये का ऋण मिला, जिसमें से 25,000 रुपये कपड़े की दुकान के लिए दिए गए। इस पूंजी से उन्होंने अपनी दुकान का विस्तार किया और मनिहारी और कपड़ों का व्यवसाय शुरू किया। कुछ ही समय में जयपाली ने ऋण की राशि और ब्याज समय पर चुका दी जिससे समूह में उनकी विश्वसनीयता और बढ़ गई। इसके बाद उन्होंने समूह से 40,000 रुपये का और ऋण लेकर अपने व्यवसाय को और आगे बढ़ाया।
आत्मनिर्भरता की मिसाल- आज जयपाली मरकाम हर महीने लगभग 15,000 रुपये कमा रही हैं। उनके पति ने भी मजदूरी छोड़कर उनके साथ व्यवसाय में हाथ बंटाना शुरू कर दिया है। अब जयपाली दीदी का परिवार न सिर्फ आर्थिक रूप से मजबूत हो गया है बल्कि उनके बच्चे भी बेहतर शिक्षा पा रहे हैं। जयपाली के जीवन में आए इस बदलाव के पीछे राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का अहम योगदान है।
आत्मसम्मान और पहचान- जयपाली दीदी कहती हैं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ने मुझे न सिर्फ आर्थिक रूप से सशक्त किया है बल्कि मुझे आत्मसम्मान और समाज में एक नई पहचान दी है। मजदूरी से मेरा और मेरे परिवार का गुजारा मुश्किल से चलता था, लेकिन आज मैं अपने व्यवसाय की मालिक हूं और अपने परिवार को एक बेहतर जिंदगी देने में सक्षम हूं।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की भूमिका- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को स्वावलंबी बनाना और उन्हें वित्तीय सशक्तिकरण की दिशा में आगे बढ़ाना है। इस योजना के माध्यम से महिलाओं को संगठित करके उन्हें ऋण सुविधाएं दी जाती हैं जिससे वे अपने व्यवसाय को शुरू कर सकें और आत्मनिर्भर बन सकें। जयपाली दीदी जैसी महिलाओं की सफलता इसी योजना की प्रभावशीलता का प्रमाण है।
प्रेरणास्त्रोत- जयपाली की कहानी आज अन्य महिलाओं के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है। उनके साहस और मेहनत ने यह साबित कर दिया कि यदि सही योजना, सहयोग और दृढ़ संकल्प हो तो किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ने जयपाली दीदी जैसे हजारों परिवारों की जिंदगी को बदलने का काम किया है और यह योजना आने वाले समय में भी ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रहेगी।

