सप्ताह भर नोनिहालो की जान से खिलवाड़ कर रविवार के दिन भरी जाती है सवारियां
सौसर:–स्कूल बस निस्संदेह छात्रों के परिवहन का सबसे सुविधाजनक साधन है। लेकिन दुर्भाग्य से, स्कूल वाहनों से यात्रा करने वाले छात्रों को स्कूल बस सुरक्षा से जुड़ी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसलिए, सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई कानून हैं किंतु इन दिनों सौसर क्षेत्र में स्कूल बसों के संचालन के नाम पर मोटी कमाई की जा रही है। सप्ताह भर क्षेत्र के स्कूलो में स्कूल बस के नाम पर कंडम बस सड़को पर दौड़ाई जा रही है वही सप्ताह के दिन रविवार को इन स्कूल बसों को यात्रि बस भी बना दिया जाता है ।सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार खबर यह भी है की क्षेत्र के कई रइस ज्यादे तो दूसरे राज्यों से कंडम वाहन खरीदकर उनमें रंगरोगन कराने के बाद उन्हें स्कूल बसों के रूप में चला रहे हैं। इन बसों में सुविधा व संसाधनों का अभाव है। जब प्राइम संदेश अखबार के प्रतिनिधि ने सड़को से गुजरने वाले वाहनों को देखा तो यहां से चलने वाली एक से अधिक बसें ऐसी थीं, जिनकी पासिंग अन्य राज्यों की थी। वहीं आधी बसें ऐसी थीं, जिनकी पासिंग नागपुर महाराष्ट्र की थी और कुछ बसों पर लिखे रजिस्ट्रेशन नंबर ही दिखाई नहीं दे रहे है इनका पता किया तो पता चला कि यह दूसरे राज्यों की बसें हैं। इनके नंबर शुरू से ही इसी तरह लिखे गए है बस चालकों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि दूसरे राज्यों में वाहन सस्ते मिल जाते हैं। इसीलिए बस मालिक इन्हें खरीद लेते हैं। इसके बाद इनका संचालन स्कूलों के साथ साथ रविवार के दिन यात्री बसों के रूप में करते हैं। ऐसी पुराना खटारा बसों में नौनिहाल बच्चों को सफर करवा रहे हैं। स्कूलो में कई ऐसी बसें हैं, जो बिना परमिट,फिटनेस, के स्कूलों में चल रही हैं, लेकिन इन पर कार्रवाई नहीं होने से कंडम खटारा वाहनों के बस मालिको के हौसले बुलंद होते नजर आ रहे है ।क्षेत्र की समस्त स्कूलों की मिली भगत से यह खेल खेला जा रहा है । बच्चों के साथ-साथ सवारी भी ढोई जाती है तथा इनी वाहन से ट्रांसपोर्टिंग का भी कार्य किया जाता है । साप्ताहिक बाजार रविवार के दिन इन वाहनों को ऐसा कृत करते हुए आसानी से देखा जा सकता है।
वही साप्ताहिक बाजार के दिन सुरक्षा के कोई भी इंतजाम नही किए जा रहे है पुलिसकर्मी नहीं रहते मौजूद जबकि दो पुलिसकर्मी की ड्यूटी यहां लगाई जाती है यह भी आधा घंटे के लिए आकर अपनी जेब गर्म कर वापस चले जाते हैं जीससे इनके हौसले बुलंद है
वाहन में ड्राइवर अकेले, न ड्रेस कोड का पालन, न टीचर
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बनाए गए स्कूल नियम के मुताबिक स्कूली बसों में एक सीसीटीवी कैमरा आगे, एक पीछे होना चाहिए, जिनमें डिजिटल वीडियो रिकॉर्डिंग टिल्ट जूम आदि की क्षमता हो। इन सीसीटीवी कैमरों की कम से कम 15 दिन की रिकॉर्डिंग की क्षमता होनी चाहिए, स्कूली बसों में छात्र छात्रा हैं तो उन बसों में महिला अटेंडेंट का होना भी अनिवार्य है। बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्कूल बसों में जीपीएस सिस्टम लगा हो, बस ड्राइवर के पास बस चलाने का कम से कम 5 साल का अनुभव होना चाहिए। इस दौरान 3 बार से अधिक चालान नहीं कटा होना चाहिए। बस संचालक के पास स्कूल वाहन का परमिट या स्वीकृति पत्र पास होना अनिवार्य है। क्षेत्र में बसों की स्पीड अधिकतम 40 किलोमीटर प्रति घंटा तक होनी चाहिए। बसों में बच्चों की सुरक्षा के लिए नियुक्त किया गया स्टाफ, कंडक्टर महिला अटेंडेंट पूरी तरह से ट्रेंड होने चाहिए। उनके साथ एक टीचर इंचार्ज भी हो, लेकिन जब प्राइम संदेश के प्रतिंनीधी ने बसों का निरीक्षण किया तो अधिकतर में केवल ड्राइवर ही बस चला रहा था। न तो बस में कोई सीसीटीवी कैमरा लगा था, न बस स्टाफ निर्धारित यूनिफार्म में था।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय का निर्देश स्कूलों बसों में इन मानकों को पूरा करना अनिवार्य
बस के पीछे और आगे “स्कूल बस” लिखा होना चाहिए।
• यदि यह किराये की बस है, तो “ऑन स्कूल ड्यूटी” स्पष्ट रूप से दर्शाया जाना चाहिए
• बस में प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स होना चाहिए।
स्कूल बस सुरक्षा के लिए भारत सरकार के नियम और विनियम -
ट्रैकस्कूलबस• बस की खिड़कियों पर क्षैतिज ग्रिल लगी होनी चाहिए।
• बस में अग्निशामक यंत्र होना चाहिए।• बस पर स्कूल का नाम और टेलीफोन नंबर लिखा होना चाहिए।• बस के दरवाजों पर विश्वसनीय ताले लगे होने चाहिए।
• स्कूल बैग को सुरक्षित रखने के लिए सीटों के नीचे जगह होनी चाहिए।• बस में स्कूल का एक अटेंडेंट अवश्य होना चाहिए। स्कूल कैब में स्पीड गवर्नर लगा होना चाहिए और अधिकतम गति सीमा 40 किलोमीटर प्रति घंटा होनी चाहिए।• स्कूल कैब की बॉडी हाईवे पीले रंग की होगी तथा वाहन के चारों ओर बीच में 150 मिमी चौड़ाई की हरे रंग की क्षैतिज पट्टी होगी तथा वाहन के चारों तरफ 'स्कूल कैब' शब्द स्पष्ट रूप से प्रदर्शित होना चाहिए।
• यदि स्कूली बच्चों की आयु 12 वर्ष से कम है, तो ले जाए जाने वाले बच्चों की संख्या अनुमत बैठने की क्षमता से डेढ़ गुना से अधिक नहीं होगी। 12 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को एक व्यक्ति माना जाएगा।
• स्कूल कैब के ड्राइवर के पास कम से कम चार साल की अवधि के लिए एलएमवी-ट्रांसपोर्ट वाहन चलाने का वैध लाइसेंस होना चाहिए और उसे हल्के नीले रंग की शर्ट, हल्के नीले रंग की पतलून और काले जूते पहनना अनिवार्य है। शर्ट पर उसका नाम और पहचान पत्र लिखा होना चाहिए।• वाहन के अंदर स्कूल बैग रखने के लिए पर्याप्त स्थान उपलब्ध होना चाहिए तथा बैग को वाहन के बाहर नहीं लटकाया जाना चाहिए या छत पर नहीं रखा जाना चाहिए।• बस चालक को स्कूल कैब में ले जाने वाले बच्चों की पूरी सूची रखनी होगी, जिसमें नाम, कक्षा, आवासीय पता, रक्त समूह और रुकने के स्थान, रूट योजना आदि का उल्लेख होना चाहिए।•किंडरगार्टन के मामले में, यदि स्कूल और अभिभावकों द्वारा पारस्परिक रूप से मान्यता प्राप्त कोई प्राधिकृत व्यक्ति, बच्चे को ठहराव स्थलों आदि से लेने नहीं आता है, तो बच्चे को वापस स्कूल ले जाया जाएगा और उसके अभिभावकों को बुलाया जाना चाहिए।
नवीनतम परिवर्तन:–
चारों ओर हो रही घटनाओं के कारण भारत में संबंधित प्राधिकारियों द्वारा स्कूल बस प्रबंधन के लिए नियम बनाए गए हैं, ताकि छात्रों के लिए सुरक्षा और सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित की जा सके तथा अभिभावकों को राहत मिल सके।स्कूल बसों में जीपीएस और सीसीटीवी अनिवार्य कर दिए गए हैं। स्कूल परिसर में सीसीटीवी लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। सीसी कैमसीसीटीवी की फुटेज 60 दिनों तक रखनी होगी और किसी भी जांच के उद्देश्य से पुलिस को सौंपनी होगी। बैंगलोर मेट्रोपॉलिटन कॉर्पोरेशन द्वारा 500 स्कूल बस कैमरे लगाए गए हैं। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा जीपीएस को अनिवार्य घोषित किया गया है।स्कूल बस चालकों को स्कूल बस में एक सीमा से अधिक छात्रों के साथ बातचीत करने पर प्रतिबंध है तथा छात्रों के साथ मेलजोल भी सीमित है।स्कूल परिसर में प्रवेश केवल अधिकृत लोगों के लिए प्रतिबंधित है। स्कूल परिसर में प्रवेश करने वाले किसी भी संदिग्ध व्यक्ति की सूचना अवश्य दी जाएगी।माता-पिता को पहचान पत्र जारी किए जाते हैं, जिन्हें बच्चों को लेने जाते समय खरीदना होता है। अगर वे अपने बच्चों को लेने नहीं आ सकते हैं, तो उन्हें एसएमएस भेजकर किसी दूसरे व्यक्ति को उन्हें लेने के लिए अधिकृत करना होगा।भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत, इन नए नियमों और विनियमों का पालन करने में स्कूल की ओर से किसी भी तरह की विफलता के लिए दंड का प्रावधान हो सकता है।
छात्रों के बेहतर यात्रा अनुभव के लिए अधिक से अधिक नियम सामने आ रहे हैं।
भारत में स्कूल बसों के लिए मानक आवश्यकताएँ
भारत में सभी स्कूल बसों का बाहरी रंग सुनहरा पीला होना अनिवार्य है। यह रंग IS 5 -1994 (समय-समय पर संशोधित) के अनुसार होना चाहिए।
पहचान के लिए, बस के सभी तरफ खिड़की के नीचे 150 मिमी चौड़ी 'गोल्डन ब्राउन' रंग की पट्टी लगाई जा सकती है।भारत में सभी स्कूल बसों में दो आपातकालीन निकास द्वार अनिवार्य हैं। एक बस के पिछले हिस्से में दाईं ओर और दूसरा बस के पिछले हिस्से में। बच्चों को इन दरवाजों को चलाने का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
जब भी बस का यात्री द्वार या आपातकालीन निकास द्वार खुला हो, तो बस को चलने में असमर्थ होना चाहिए। ड्राइवर को चमकती रोशनी/बजर या अन्य उपयुक्त साधनों के माध्यम से दरवाजे खुले होने का संकेत मिलना चाहिए।सबसे कम फुटस्टेप की ऊंचाई जमीन से 220 मिमी से अधिक नहीं होनी चाहिए। बस को बिना मोड़े या वापस खींचे बिना चलने में असमर्थ होना चाहिए यात्री सीढ़ी के सामने वाली सीटों के अलावा सभी सीटें आगे की ओर होनी चाहिए। साथ ही, सीढ़ी के सामने वाली सीट के लिए एक विभाजन प्रदान किया जाना चाहिए।जब भी यात्री द्वार खुले, तो रुकने के संकेत, खतरे की चेतावनी और रुकने के संकेत आर्म को चालू होना चाहिए।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि चालक गति सीमा पार न करे, CMV (A)R 1989 के नियम 118 की आवश्यकताओं का अनुपालन करने वाला छेड़छाड़-रोधी गति नियंत्रक उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
इन सुरक्षा मानदंडों को सुनिश्चित करने के लिए कोई भी माता-पिता/अभिभावक या शिक्षक भी यात्रा कर सकते हैं।
छात्रों और अभिभावकों की जिम्मेदारियाँ:
अभिभावकों को अपने बच्चों को स्कूल बस या निर्धारित समय पर स्कूल पहुंचने के स्थान पर पहुंचाना होता है। अगर उनकी ओर से देरी होती है, तो अभिभावकों को ड्राइवर को जिम्मेदार ठहराए बिना अपने बच्चों को स्कूल पहुंचाना होता है।
अनुशंसित लेख: स्कूल बस ट्रैकिंग ऐप माता-पिता की कैसे मदद कर सकते हैं माता-पिता को अपने बच्चों को यातायात सुरक्षा के महत्व, तथा स्कूल बस का इंतजार करने और उसमें यात्रा करने के तरीके के बारे में प्रशिक्षण और शिक्षा देने में मदद करनी चाहिए।अभिभावकों को ड्राइवर की किसी भी लापरवाही या अपराध की सूचना स्कूल प्रशासन को देनी चाहिए।
यदि घर लौटने पर कोई भी छात्र को लेने नहीं आता है तो चालक माता-पिता की जिम्मेदारी पर उन्हें स्कूल वापस भेज सकता है।
छात्रों को बस की साफ-सफाई बनाए रखनी चाहिए तथा चालक या छात्रों द्वारा किए गए किसी भी अपराध के बारे में स्कूल प्रबंधन या अपने अभिभावकों को सूचित करना चाहिए।
इनका कहना –रविवार होने के कारण स्कूल बसे नही मिल पाई आरटीओ जांच टीम जाकर फिर स्कूलों बसों की चेकिंग कर कार्यवाही की जायेंगी
मनोज तेहगुनिया
क्षेत्रीय अतिरिक्त परिवहन अधिकारी छिंदवाड़ा

