भूतों का मेला बना मदिरालय: मेले की आड़ में परोसी जा रही थी अवैध शराब, चार आरोपी गिरफ्तार
भूतों का मेला बना मदिरालय: अवैध शराब की बिक्री पर प्रशासन का छापा
चार आरोपी गिरफ्तार, बड़ी मात्रा में अवैध शराब बरामद
अवैध गतिविधियों पर लगाम लगाने में प्रशासन का सख्त रुख
जुन्नारदेव।जिले के जुन्नारदेव क्षेत्र से लगभग 30 किलोमीटर दूर ग्राम ताल खमरा में आयोजित भूतों का मेला एक बार फिर सुर्खियों में है। देवउठनी ग्यारस से शुरू होने वाले इस मेले में जहां ओझा-परिहार भूत-प्रेत बाधा दूर करने का दावा करते हैं, वहीं मेले में बड़ी संख्या में पशु बलि और मदिरापान की घटनाएं सामने आती हैं। इस बार मेला स्थल अवैध गतिविधियों का अड्डा बन गया था, जिसे रोकने के लिए प्रशासन और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई की गई।
अवैध शराब के खिलाफ कार्रवाई
रविवार को राजस्व और पुलिस की टीम ने मेला स्थल पर छापा मारा, जहां बड़ी मात्रा में अवैध शराब बरामद की गई। इस दौरान चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।
*गिरफ्तार आरोपी एवं बरामद शराब का विवरण:*
1. राजेश महोबे (उम्र 36, निवासी बरेली) के पास से 6 लीटर हाथ भट्टी शराब बरामद हुई।
2. सुहागा बाई (उम्र 30, पत्नी संतोष यदुवंशी, निवासी नवेगांव) के पास से 9 बोतल बियर, 40 बोतल प्लेन शराब, और 29 बोतल ओसी शराब पाई गई।
3. शिवराम धर्मवंशी (उम्र 42, निवासी लाल कैमरा) के पास से 6 लीटर हाथ भट्टी शराब बरामद हुई।
4. मुन्नीलाल धर्मवंशी (उम्र 45, निवासी लाल कैमरा) के पास से 10 लीटर हाथ भट्टी शराब पाई गई।
कुल बरामद सामग्री
बियर: 5 लीटर 850 मिलीलीटर
ओसी मदिरा: 9 लीटर
प्लेन मदिरा: 8 लीटर 100 मिलीलीटर
हाथ भट्टी मदिरा: 22 लीटर
कानूनी कार्रवाई
आरोपियों पर धारा 34(1) के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है। यह कार्रवाई तहसीलदार राजेंद्र टेकाम और थाना प्रभारी राजेश साहू के नेतृत्व में की गई। टीम में आबकारी विभाग के एसआई श्री मार्को, राजस्व विभाग के पटवारी और कोटवार भी शामिल थे।
मेले की सुरक्षा पर सवाल
भूतों का मेला धार्मिक आस्था और परंपरा का प्रतीक माना जाता है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यह अवैध गतिविधियों का केंद्र बन गया है। स्थानीय प्रशासन की सतर्कता के बावजूद मेला स्थल पर सामाजिक तत्व सक्रिय रहते हैं, जो कानून-व्यवस्था को चुनौती देते हैं।
प्रशासन का सख्त रुख
अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) ने बताया कि भविष्य में ऐसी घटनाओं पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी। अवैध गतिविधियों में शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।
निष्कर्ष
भूतों के मेले जैसी परंपराएं सामाजिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होती हैं, लेकिन इनका दुरुपयोग रोकना जरूरी है। प्रशासन की कार्रवाई से जहां अवैध गतिविधियों पर लगाम लगी है, वहीं स्थानीय जनता को भी जागरूक होने की आवश्यकता है।

