✍️जुन्नरदेव से मुकेश बरखाने संवाददाता
उमरेठ में आस्था, परंपरा और श्रद्धा का प्रतीक मेघनाथ मेला के समापन रविवार को धूमधाम से हो गया। इस मेले में सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार मन्नत के वीरों को झूले पर बांधकर घुमाने की रस्म निभाई गई। इस वर्ष डिंपी (पिता अजय पवार, निवासी जूनापानी, उम्र 1 वर्ष), सतीश (पिता पतिराम, निवासी छाबड़ी, उम्र 35 वर्ष) और राज (पिता वस्तीराम निवासी वावन क्वार्टरउमरेठ, उम्र 32 वर्ष) को वीरों की तरह घुमाया गया।
बताया जाता है कि मन्नत पूरी होने पर ऐसा किया जाता है। यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है और इसे साहस, आस्था और भक्ति का प्रतीक माना जाता है।
कैसे घुमाए जाते हैं मन्नत के वीर?
• विशेष झूले की तैयारी - लोहे या लकड़ी का एक मजबूत झूला (चक्र) बनाया जाता है, जिसे एक ऊंचे खंभे पर बांधा जाता है।
• वीरों का विशेष पूजन - जिन लोगों को घुमाया जाना होता है, उनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
• रस्सियों से बांधकर घुमाया जाता है- वीरों को रस्सियों या कपड़े के पट्टों से सुरक्षित रूप से झूले में बांध दिया जाता है।
• हवा में चक्र की तरह घुमाया जाता है झूले को तेजी से घुमाया जाता है, जिससे वीर हवा में घूमते हैं।
श्रद्धालु मन्नतें मांगते हैं इसे देखने के लिए हजारों लोग उमड़ते हैं और अपनी मन्नतें मांगते हैं।
श्रद्धालुओं में उत्साह, भक्तों की उमड़ी भीड़ मेघनाथ मेले में दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचे। वीरों कोघुमाने की परंपरा देखने के लिए उमरेठ के अलावा आसपास के गांवों से भी भारी संख्या में भक्त आए। मेले में धार्मिक अनुष्ठान, झूले, खान-पान और पारंपरिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने भी लोगों का ध्यान आकर्षित किया।
सुरक्षा व्यवस्था रही मजबूत
• भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन और पुलिस द्वारा कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी, जिससे कार्यक्रम शांतिपूर्वक हुआ।
• यह मेला श्रद्धालुओं के लिए आस्था और परंपरा का महत्वपूर्ण केंद्र है। मान्यता है कि इस परंपरा में शामिल होने से देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है और संकटों से मुक्ति मिलती है।
भक्तों ने जताई श्रद्धा, उल्लास के साथ हुआ मेला मेले के समापन के दौरान भक्तों ने विशेष पूजा-अर्चना की और प्रसाद वितरण किया गया। इस ऐतिहासिक मेले का हिस्सा बनने पर श्रद्धालुओं ने गर्व और संतोष व्यक्त किया।

