✍️जुन्नरदेव से मुकेश बरखाने संवाददाता
तामिया पर्यावरण चेतना और भौगोलिक असंतुलन के दृष्टिगोचर शासकीय महाविद्यालय तामिया में 22 मार्च को विश्व गौरैया दिवस , विश्व वानिकी दिवस एवम विश्व जल दिवस की संयुक्त कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम प्रभारी प्रो विजय सिंह सिरसाम भूगोल विभाग ने विश्व वानिकी दिवस के संबंध में कहा कि वैश्विक नियमानुसार प्रत्येक भौगोलिक क्षेत्र के 33% भाग वन आच्छादित होने चाहिए लेकिन हमारे आस पास के जिलों को देखा जाए तो सतपुड़ा पठार के दक्षिणी जिलों को छोड़कर सभी जिलों में वनो का प्रतिशत कम है। प्रत्येक जीवो को स्वशन के लिए शुद्ध ऑक्सीजन चाहिए। यदि मानव ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो वो दिन दूर नही जब हर घर में ऑक्सीजन सिलेंडर दिखाई देंगे। डॉ प्रशांत डहाते सहायक प्राध्यापक पी एम कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस बालाघाट ने विश्व जल दिवस पर वक्तव्य में कहा कि जल जीवन का एक अभिन्न अंग है। विश्व के सभी सभ्यताएं जल संसाधन के किनारे ही उत्पन्न हुए है। हड्डप्पा सभ्यता , दजला फरात सभ्यता , मिश्र की सभ्यता इसके उदाहरण है। विश्व में भले ही जल का प्रतिशत 71 है लेकिन पीने योग्य जल 1 प्रतिशत से भी कम है। आज हम सभी जल संसाधनों स्रोतों को दूषित कर रहे है उसे सफाई करने की आवश्यकता है। श्री पवन श्रीवास्तव ने विश्व गौरेया दिवस पर कहा कि यह जीव प्रकृति के सबसे छोटे जीवो में से एक है जहां हमारे पूर्वज इन जीवो को आसानी से अपने घर खेत खलिहानों में देखते थे आज की पीढ़ी के लिए इन्हें देखना इतना सरल कार्य नही रह गया है। प्राचार्य डॉ मालती बनारसे ने कहा की गौरैया पर इतनी कविताएं कहानी लिखे जा चुके है आज के युवा इस पक्षियों को संरक्षित करने हेतु आगे आए । प्रो निरंजन सिंह राजपूत ने गौरैया के ऊपर एक कविता वाचन कर उन्हे बचाने के लिए विद्यार्थियों से आग्रह किया।

