बीती रात को नगर के श्री रामलीला मंच, विजय स्तंभ पर क्षेत्र की प्रसिद्ध ऐतिहासिक सांस्कृतिक, धार्मिक एवं सामाजिक धरोहर श्री रामलीला का मंचन प्रारंभ हो गया। यह रामलीला का मंचन श्री नारद मोह की लीला से प्रारंभ हुआ, जिसमें देव ऋषि नारद के द्वारा इंद्र के सखा कामदेव पर विजय हासिल कर लेने के बाद उत्पन्न हुए घमंड को चूर-चूर किए जाने की लीला का मंचन किया जाता है। इसी लीला का प्रदर्शन बीती रात को स्थानीय श्री राम लीला मंच पर किया गया। देव ऋषि नारद हिमालय की मनोरम कंदराओं को देखकर वहां तपस्या में लीन हो जाते हैं। इसको लेकर स्वर्ग के राजा इंद्र चिंतित हो जाते हैं। कामदेव और स्वर्ग लोक की अप्सराओं को वह उनकी तपस्या को भंग करने के लिए भेजते हैं, जिसमें वह असफल हो जाते हैं। इस तरह से नारद कामदेव पर जीत हासिल कर लेते हैं। जिसका उन्हें अभिमान हो जाता है। अपने प्रिय भक्त देव ऋषि नारद के मन में पैदा हुए इस अभिमान को चूर करने के लिए भगवान विष्णु एक लीला रचते हैं, जिसमें कौतुक नगर में राजकुमारी का स्वयंवर का आयोजन किया जाता है जिसमें नारद को भगवान विष्णु अपना हरि रूप न देते हुए वानर का रूप देते हैं। राजा शीलनिधि के दरबार में अपनी जगहसाई से क्रोधित देव ऋषि नारद विष्णु जी को श्राप देते हैं, लेकिन कुछ ही देर बाद देव ऋषि नारद को अपनी गलती का एहसास होता है और वह अपने आराध्य भगवान विष्णु के प्रति समर्पित होकर क्षमा याचना करते हैं। इस लीला का मंचन देर रात्रि तक होता रहा जिसे बड़ी संख्या में उपस्थित दर्शकों ने सराहा। आज की इस लीला में भगवान विष्णु के पात्र का सजीव व जीवंत अभिनय आकाश परसाई, नितिन चिंटू बत्रा (देव ऋषि नारद), मुकेश विश्वकर्मा (राजा शीलनिधि), राधे बंदेवार (भगवान शंकर), शोभित गुप्ता (देवराज इंद्र), अक्षय जोशी (कामदेव), बलवीर (नृत्यांगना), बेनी प्रसाद बरहेया एवं मुन्नालाल जमधरिया शिवगण), वंश विश्वकर्मा, कर्णव पंचेश्व, विनोद कुमार के द्वारा मनमोहक भूमिकाये अदा की गई.
*🕉️श्री किरीट पूजन से हुआ विधिवत आरंभ, श्रीजी एवं घट की भी हुई स्थापना*
श्री रामलीला एवं दुर्गोत्सव समिति जुन्नारदेव की बीते 99 वर्ष की स्थापित परंपरा के अनुसार इस रामलीला के मंचन की शुरुआत ऐतिहासिक व प्राचीन मुकुट अर्थात किरीट के पूजन से किया जाता है। यह क्रिएट पूजन समिति के श्री संतोष बडोनिया एवं श्री रामलीला समिति के सदस्यों एवं पदाधिकारीयो के द्वारा इसका विधिवत पूजन अर्चन करने के बाद ही रामलीला प्रारंभ हुई। इसके अतिरिक्त दोपहर में रामलीला मंच के ठीक बगल में ही देवी प्रतिमा एवं घट स्थापना पूर्ण अनुष्ठान के साथ की गई। इस दौरान बड़ी संख्या में श्री रामलीला समिति के पदाधिकारी, सदस्यगण , पात्रगण एवं आमभक्तजन उपस्थितथे।

