![]() |
प्रधान जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जितेन्द्र कुमार शर्मा के निर्देशानुसार जिला जेल छिन्दवाड़ा में गत दिनों प्ली बारगेनिंग, बंदियों के अधिकार, मध्यस्थता और नेशनल लोक अदालत पर विधिक साक्षरता व जागरूकता शिविर संपन्न हुआ। कार्यक्रम में जिला विधिक सहायता अधिकारी रजनीश चौरसिया, धर्मवीर उमरैया, जेल स्टाफ व बंदी गण उपस्थित थे।
जिला विधिक सहायता अधिकारी चौरसिया ने कहा कि दण्ड प्रक्रिया संहिता में संशोधन कर प्ली बारगेनिंग का प्रावधान जोड़ा गया है जिसका शाब्दिक अर्थ सौदा अभिवाक होता है जो अभियुक्त एवं पीडित के मध्य एक प्रकार का अनुबंध है। इसके अंतर्गत ऐसे अपराध सम्मिलित है जिसमें 7 वर्ष से कम कारावास का हो, किन्तु ऐसे अपराध जो देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को प्रभावित करने वाले न हों और जो महिला या 14 वर्ष से कम आयु के बच्चे के साथ घटित न किया गया हो, ऐसे प्रकरणों में प्ली बारगेनिंग प्रक्रिया के माध्यम से अभियुक्त के स्वैच्छिक रूप से प्रस्तुत आवेदन पर न्यायालय द्वारा फरियादी और अभियुक्त के मध्य चर्चा की जाकर प्रकरण का निराकरण किया जाता है। यह प्रक्रिया ऐसे बंदी जो अपने प्रकरण में अपराध स्वीकार करना चाहते हैं या जो लम्बे समय से जेल में निरूध्द हैं, उनके लिये लाभप्रद है। इस प्रक्रिया के अंतर्गत स्वैच्छिक समाधान के उपरांत न्यायालय द्वारा फरियादी को क्षतिपूर्ति प्रदान की जाती है। यदि विधि में अपराध का न्यूनतम दण्ड प्रावधानित है तो उस दण्ड के आधे भाग से दण्डित किया जाता है। उन्होंने प्ली बारगेनिंग के माध्यम से प्रकरणों के निराकरण के संबंध में अपनायी जाने वाली प्रक्रिया और लाभ से भी बंदीगणों को अवगत कराया। साथ ही आगामी 12 नवंबर को आयोजित नेशनल लोक अदालत और बंदियों के अधिकार के संबंध में जानकारी दी । उन्होंने प्ली बारगेनिंग की प्रक्रिया से प्रकरण का निराकरण कराये जाने के इच्छुक बंदियों से जेल अधीक्षक के माध्यम से आवेदन प्रेषित किये जाने के लिये कहा। कार्यक्रम में बंदियों द्वारा पूछे गये प्रश्नों के समाधानकारक उत्तर सुझाये गये।


