विश्वविद्यालयी स्तरीय युवा उत्सव के मीडिया प्रभारी प्रो.अमर सिंह ने बताया कि समापन समारोह में मुख्य अतिथि एवं आयुक्त नगरपालिक निगम श्री सिंह ने कहा कि स्वच्छता दिव्यता की समानार्थी है, जो सफाई पर जितना ध्यान देगा, ईश्वर के उतने ही करीब वह व्यक्ति होगा। कार्यक्रम अध्यक्ष एवं विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.श्रीवास्तव ने कहा कि प्रतिस्पर्धा व्यक्ति का स्वयं से परिचय कराती है। युवा वही है जिसमें लक्ष्यपरकता, दक्षता और महक आती है। छात्रों को अपनी नैसर्गिक प्रतिभा को निखारने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जानी चाहिए। राजमाता सिंधिया शासकीय कन्या महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ.श्रीमती अजरा एजाज ने संगीत की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जहां शब्द मैदान छोड़ते हैं, वहां संगीत मोर्चा संभालता है। पी.जी.कॉलेज के प्राचार्य प्रो.पी.आर.चंदेलकर ने कहा कि छात्र निरंतर अभ्यास से उत्कृष्ट प्रतिभा अर्जित कर सकते हैं। जीता खिलाड़ी हार पहनता है, हारा हुआ भविष्य के लिए जीतने का संकल्प करता है। विश्वविद्यालय युवा उत्सव प्रभारी प्रो.अर्चना सुदेश मैथ्यू ने कहा कि जिस घाव को दवा न भरे, संगीत उसकी जिम्मेदारी लेता है। जिस दर्द को कोई शरण न दे, संगीत उसे आंचल में बैठा लेता है।
समारोह में कुलसचिव डॉ.धनाराम उइके ने कहा कि संगीत आत्मा पर जमी धूल को साफ करता है। संगीत पीड़ा से जन्मता है और जादुई उपचार भी करता है। छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ.जगदीश वाहने ने कहा कि संगीत से जिसका नाता टूटा, वह ज्यादा नहीं चलता है। संगीत पत्थर को पिघला सकता है। प्रो.ऊषा भारती ने कहा कि संगीत वह अकेला सत्य है जो अव्यक्त को व्यक्त करता है। पूर्व प्राचार्य प्रो.डबल्यू.एस.ब्राउन ने कहा कि युवा उत्सव युवाओं को सफल नागरिक बनने की दिशा प्रदान करते हैं। प्रो.कामना वर्मा ने कहा कि संगीत नीरवता की भाषा बोलता है। गाने वाले के पास बुराइयां नजदीक नहीं आती हैं। प्रो.नीलिमा बागड़े ने कहा कि संगीत माधुर्य की कविता है, दिमाक की कल्पना है और ब्रह्मांड की आत्मा है। प्रो.नयनबाला दास ने कहा कि संगीत के बहाव को रोकना वक्त को रोकने जैसा अकल्पनीय, अविश्वसनीय है। प्रो.टीकमणि पटवारी ने कहा कि कोई भी कितना मूढ़ क्यों न हो, संगीत को अवश्य महसूस करता है। दुख के युध्द के विरूध्द संगीत सबसे सशक्त हथियार है। सांगीतिक पक्ष में निर्णायक की भूमिका के निर्वहन में श्रीमती जूली सिंघई, पंकज बोंडे, ओशीन धारे, राजेश विश्वकर्मा, उदित शर्मा और धर्मेंद्र विश्वकर्मा प्रमुख थे। युवा उत्सव समारोह को सफल संचालित करने एवं मंच संचालन की भूमिका के सफल निर्वहन में डॉ.उषा भारती, डॉ.नीलिमा बागडे, डॉ.नयनबाला दास, डॉ.बिन्दिया महोबिया, डॉ.अनीता मिश्रा, आर.एस.नागोतिया, प्रमोद झाडे, डॉ.विजय कलमधार, मीडिया प्रभारी प्रो.अमर सिंह और प्रो.सीमा सूर्यवंशी का भी अतुलनीय योगदान रहा।


