"कोई भी वक्त बेवक्त नहीं, हर वक्त का एक फॉर्मेट होता है: प्रो. सिंह
"वक्त के पाबंद को ठिकाना व लापरवाह को ठिकाने लगाता है ": प्रो. सिंह
"बीते वक्त को वापस लाने की हैसियत खुदा में भी नहीं है:" प्रो. सिंह
"वक्त से बदसलूकी करने वाले सम्राट मिट्टी में मिल जाते हैं": प्रो. सिंह
हर्रई: शासकीय महाविद्यालय हर्रई में "समय प्रबंधन से शख्सियत निर्माण" विषय पर आयोजित कार्यशाला में प्रमुख वक्ता बतौर बोलते हुए चांद कॉलेज के प्रेरक वक्ता प्रो.अमर ने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि संसाधन हीन छात्र सही वक्त पर अपने कार्यों के लक्ष्य पर निवेश करके जीवन में सफलता अर्जित कर सकते हैं। कोई भी वक्त बेवक्त नहीं होता है, और न ही अच्छा या बुरा वक्त होता है। हर वक्त का एक फॉर्मेट होता है जिसके अंदर हम सभी को कार्य करने का सुअवसर मिलता है। वक्त के पाबंद को वक्त ठिकाना देता है और लापरवाह को यह ठिकाने लगा देता है। बीते वक्त को वापस लाने की हैसियत खुदा में भी नहीं होती है। वक्त से बदसलूकी करने वाले सम्राट मिट्टी में मिल जाते हैं। प्राचार्य डॉ. एस. के. एस. यादव ने अपने उद्बोधन में कहा कि समय की गति निर्बाध चलती है और सही समय का इंतजार करने वाले हाथ मलते रह जाते हैं। छात्र हर क्षण को परमात्मा का उपहार समझ अपने कर्मों का निवेश करके मन चाहा ख्वाब पूरा कर सकते हैं। प्रो. एल. काशिया ने छात्रों को अपनी ऊर्जा को अपने जीवन के उद्देश्य पर फोकस करके योजनाबद्ध तरीके से पारदर्शिता से काम करने पर जोर दिया। आज का वक्त में अगर लगन, संकल्प और आत्मविश्वास से लबरेज हो काम किया तो कल के दिन पश्चाताप के लिए कोई जगह नहीं बचेगी। प्रो. ए. के. यादव ने कहा कि गरीबी में पैदा होना हमारे हाथ में नहीं है, पर गरीबी में मरना हमारी नाकामयाबी होती है। डॉ. सपना राय ने छात्र जीवन को भविष्य निर्माण की नींव कहा जिस पर भावी जीवन का महल खड़ा होता है। डॉ. पिंकी गोखले ने कहा कि जो छात्र जीवन में भरपूर पसीना बहाते हैं, वे बाकी के जीवन में खून सुखाने से बच जाते हैं। डॉ. मधु सारवान ने कहा कि छात्र जीवन अनुभव की वह प्रयोगशाला है जिसमें भावी जीवन की फसल काटने के बीज बोए जाते हैं। प्रो. कमलेश कोचले ने कहा कि बुरे वक्त में किए काम अच्छे वक्त में सुखद परिणाम देते हैं। डॉ. सुभाष सोनी ने कहा कि वक्त सौभाग्य लेकर हमारे दरवाजे पर दस्तक देता है लेकिन अगर हम सुस्त रहे तो वापस लौट जाता है। कार्यशाला में प्रो.नितेश डेहरिया, प्रो. छत्रपाल सिंह जाटव, डॉ. अमिताभ अहरवार और प्रो. प्रीति बुनकर क्रीडा अधिकारी ने भी अपने विचार व्यक्त किए।


