राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय छिंदवाड़ा के कुलपति डॉ.एम.के.श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में विश्वविद्यालय स्तरीय युवा उत्सव के दूसरे दिन डेनियलसन डिग्री कॉलेज छिंदवाड़ा में आज विश्वविद्यालय स्तरीय साहित्यिक और रूपांकन पक्ष की स्पर्धायें संपन्न हुई ।
समारोह के मुख्य अतिथि सी.जी.एम.श्री रामा राव ने कहा कि प्रतिस्पर्धियों द्वारा साहित्यिक चिंतन हाशिए पर पड़ी विवशता की पीड़ा की अभिव्यक्ति होती है। साहित्य का दर्शन मानव की अनसुलझी गुत्थी को सुलझाने का विकल्प देता है। प्राचार्य प्रो.स्मृति हाबिल ने कहा कि साहित्य की विधाएं छात्रों को मनुष्यता निर्माण की अनंत विचारशीलता प्रदान करती हैं। कुलसचिव डॉ.धनाराम उइके ने कहा कि रुपांकन की विधाएं छात्रों के चिंतन की परिधि को उड़ान के पंख प्रदान करती हैं। छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ.जगदीश वाहने ने कहा कि साहित्य व रुपांकन की स्पर्धाएं छात्रों में संचित वैचारिक निधि से जीवन के विभिन्न आयामों में व्यवहार में काम आती हैं। विश्वविद्यालय की युवा उत्सव प्रभारी डॉ.श्रीमती अर्चना सुदेश मैथ्यू ने कहा कि युवा सृजनशीलता की शक्ति को हथियार बनाकर सामाजिक समस्याओं को हल करें।विश्वविद्यालय स्तरीय युवा उत्सव के मीडिया प्रभारी डॉ.अमरसिंह ने बताया कि
साहित्यिक विधाओं की प्रस्तुति की समीक्षा करते हुए प्रख्यात ओजस्वी वक्ता व शिक्षाविद श्री ओ.पी.शर्मा ने कहा कि भयभीत व्यक्ति समाज में कोई भी रचनात्मक कार्य नहीं कर सकता है। अगर वक्ता में कहने का सलीका और सुनने लायक अवधारणात्मक कथ्य है तो बात अवश्य सुनी जाती है। विश्वविद्यालय पर्यवेक्षकों में प्रो.राजेन्द्र कुमार मिश्रा छिंदवाड़ा, डॉ.सविता मसीह सिवनी, डॉ.निधि ठाकुर बालाघाट और डॉ.राजेश शेषकर बैतूल का प्रमुख योगदान रहा। डी.डी.सी.के युवा उत्सव प्रभारी श्री बी.बी.भुजाड़े, श्रीमती स्वाति जैन, अनमोल भारद्वाज, कु.माया पांडे, माया शर्मा, महेश घायवट, गणेश सोनी और सुरेंद्र धुर्वे का सराहनीय योगदान रहा। छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय के शिकायत निवारण समिति के डॉ.नन्दा हल्दे, डॉ.अनिता मिश्रा, डॉ.विनोद माहुरपवार, भोजन व परिवहन समिति के डॉ.सुरेन्द्र झारिया, डॉ.एस.सी.लाम्बा प्रमुख रहे। पी.जी.कॉलेज के डॉ.लक्ष्मीकान्त चन्देला, डॉ.टीकमणी पटवारी, डॉ.सीमा सूर्यवंशी व डॉ.दुर्गेश ठाकुर ने अतुलनीय भूमिका निभाई। रूपांकन पक्ष के निर्णायक दल में सर्वश्री प्रशांत गंगणे, रोहित रूसिया, डॉ.प्रतिभा श्रीवास्तव और साहित्यिक पक्ष के डॉ.मनीषा जैन, श्रीमती शैफाली शर्मा और दिनेश भट्ट प्रमुख थे।


