उप संचालक कृषि श्री सिंह ने बताया कि ग्राम भुम्मा में 208 हेक्टेयर में कृषि का रकबा है जिसमें लगभग 158 किसानों द्वारा प्रतिवर्ष परम्परागत तरीके से जैविक खेती की जा रही है। ग्राम में 0.5 किसानों द्वारा प्रधानमंत्री सृजन स्वरोजगार योजना के अंतर्गत स्वीकृत 25 लाख रूपये से बड़ी वर्मी कम्पोस्ट यूनिट संचालित की जा रही है। इस प्रकार कृषक जैविक खेती कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं। उन्होंने टीम के साथ किसान श्री मटरू डोंगरे के यहाँ प्राकृतिक एवं जैविक हल्दी के साथ ही कपास और कपास के साथ अरहर की अंतर्वर्तीय खेती और किसान श्री धनवत गोहिते के खेत में बैंगन, मिर्च व संतरे की खेती का फील्ड निरीक्षण किया । उन्होंने ग्राम के अन्य कृषकों के साथ परिचर्चा करते हुए कृषकों द्वारा किये जा रहे प्राकृतिक संरक्षण की दिशा में किये जाने वाले कार्यों की सराहना करते हुए मार्गदर्शन दिया । भ्रमण के दौरान उप संचालक कृषि के साथ मैदानी अधिकारी/ कर्मचारी भी शामिल थे ।
प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिये उप संचालक कृषि सहित कृषि विशेषज्ञ एवं कृषि अधिकारियों की टीम ने किया सौंसर के ग्राम भुम्मा का भ्रमण
December 03, 2022
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छिन्दवाड़ा जिला प्रदेश में ही नहीं वरन् पूरे देश में अपने प्राकृतिक सौंदर्य को लेकर एक अनूठी पहचान रखता है। साथ ही कृषि परिवेश को लेकर कृषि, उद्यानिकी एवं वनोपज की प्रचुरता से परिपूर्ण है। इसी कड़ी में जिले के विकासखंड सौंसर के ग्राम भुम्मा के कृषक ग्राम भुम्मा को जैविक क्लस्टर के रूप में विकसित किये जाने की दिशा में कृषि कार्य कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं। ग्राम भुम्मा के कृषक जैविक हल्दी को अपनाकर फसल विविधीकरण की ओर भी प्रयासरत हैं। उप संचालक कृषि श्री जितेन्द्र कुमार सिंह ने आज कृषि विशेषज्ञ और कृषि अधिकारियों के साथ ग्राम भुम्मा का भ्रमण कर ग्राम के किसानों द्वारा की जा रही प्राकृतिक और जैविक खेती का अवलोकन किया। उल्लेखनीय है कि भुम्मा जिले का इकलौता ऐसा गांव है, जहाँ ग्राम के लगभग प्रत्येक किसान परिवार के यहाँ बायोगैस, वर्मी कम्पोस्ट टांके, देशी गाय पालन, बकरी पालन और मुर्गी पालन किया जाकर खेती की लागत को कम करते हुए अधिक मुनाफा कमा रहे हैं। ग्राम के प्रत्येक किसान के पास पशुधन उपलब्ध है। ग्राम के किसानों की मिट्टी की सेहत/स्वास्थ्य बहुत अच्छा है। किसानों ने अपने खाने के लिए किचन गार्डन में सभी प्रकार की सब्जियों को प्राकृतिक खेती पध्दति से उगाकर विषरहित सब्जियों व अनाज का उपयोग कर रहे हैं। ग्राम में मुख्यतः किसानों द्वारा हल्दी, अदरक, कपास, संतरा, गेहूँ, चना और अन्य फसलें ली जाती हैं।
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