जिले के चांद नगर के शासकीय उपाधि महाविद्यालय में आज "सफ़ल कैरियर में जीवन प्रबंधन" विषय पर कार्यशाला संपन्न हुई । स्वामी विवेकानंद कैरियर मार्गदर्शन और एन.एस.एस. विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस कार्यशाला में वक्ताओं ने अपने सारगर्भित विचार व्यक्त किये ।
शासकीय उपाधि महाविद्यालय चांद के प्राचार्य डॉ.डी.के.गुप्ता ने बताया कि कार्यशाला में चांद कॉलेज की अस्थाई संबध्दता के निरीक्षण के लिये आई टीम के संयोजक व हिन्दी के विद्वान प्राध्यापक प्रो.लक्ष्मीचंद ने कार्यशाला में कहा कि जीवन अनंत संभावनाओं का खेल है। हम जीवन सागर में जितने गहरे उतरते हैं, उतने अधिक मोती हमें मिलते हैं। समय के हर पल में पसीने का निवेश भविष्य में पश्चाताप के आंसुओं की बारिश से हमें बचाता है। स्वामी विवेकानंद कैरियर मार्गदर्शन के संभाग प्रभारी प्रो.पी.एन.सनेसर ने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि जब तक ख्वाइश पूर्ति की आग सीने में न धधके तो जीने का मज़ा अधूरा सा लगता है। मशक्कत के महारथी की हर मुराद मुमकिन है।बहानेबाज को हर मौसम मनमाफिक नहीं लगता है। कोई भी लक्ष्य हमारी सोच से ऊंचा नहीं होता है। उसे हर समय हवा अपने पक्ष की चाहिए। जीतने वाले के शब्दकोश में मुश्किल, समस्या, कठिनता और दुरूह शब्द नहीं होते हैं। प्रो.जगमोहन पूषाम ने अपने अंदाज में कहा कि हमें अपने सपनों से खुद ही जूझना पड़ता है, कोई और हमारी तरफ से क्यों संघर्ष करे। हम जो स्वयं को देते हैं, वही होते जाते हैं। कैरियर मार्गदर्शन प्रभारी प्रो.आर.के.पहाड़े ने कहा कि लक्ष्य प्राप्ति का हौसला, जुनून, इच्छा शक्ति और संकल्प मंजिल को ओझल नहीं होने देते हैं। हर हार-जीत पहले हमारे दिमाग में घटित होती है। कार्यशाला में प्राचार्य डॉ.डी.के.गुप्ता ने कहा कि बड़ी उपलब्धि, बड़ी चुनौती, बड़े बदलाव और बड़े उतार चढ़ाव से गुजरती है। लक्ष्य सिध्दि उत्कृष्ट प्रतिभा का योजनाबध्द उत्कृष्ट प्रदर्शन मांगती है। अवरोधों के पहाड़ को तिनका-तिनका काटना पड़ता है। प्रो.रजनी कवरेती ने कहा कि लक्ष्य प्राप्ति के पीछे की वजह को ज्वलंत करके रखना पड़ता है, अन्यथा ज्वलंत ऊर्जा का निवेश लक्ष्य पर नहीं हो सकेगा। प्राथमिकताओं पर फोकस की कमी रखना असफलता को निमंत्रण देना होता है। प्रो.जी.एल.विश्वकर्मा ने कहा कि स्मार्ट सोच, स्मार्ट योजना और स्मार्ट कर्म लक्ष्य भेदने में सक्षम होते हैं। प्रो.सुरेखा तेलकर ने कहा कि जब जुनून की आग जलती है तो बहाने खाक हो जाते हैं। प्रो.विनोद शेंडे ने कहा कि निर्मल बुध्दि, निखालिश चाहत और विशुध्द इरादे अपने अंजाम को प्राप्त कर ही लेते हैं। प्रो.रक्षा उपश्याम ने कहा कि पारदर्शिता का अभाव अधिकांश समस्याओं की जड़ में होता है। श्री संतोष अमोडिया ने कहा कि सर्जनात्मक ऊर्जा के अपव्यय की सबको भारी कीमत चुकानी पड़ती है।


