कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.चंदेलकर ने विद्यार्थियों को अपने सुझाव लिखकर सुझाव पेटी में डालने के लिये प्रेरित किया । विद्यार्थियों के ये सुझाव उच्च शिक्षा विभाग को भेजे जायेंगे जो राज्य युवा नीति बनाने में सहयोगी बनेंगे। उच्च शिक्षा विभाग के प्राध्यापक डॉ.लक्ष्मीचंद ने कहा कि आर्थिक विकास के लिये कौशल उन्नयन आवश्यक है। यदि उसमें कौशल है तो परिवार का प्रत्येक सदस्य धन का अर्जन कर सकता है । उन्होंने कहा कि युवा की आबादी भारत में सर्वाधिक है। युवाओं को राष्ट्र निर्माण में अपना सहयोग प्रदान करने का संकल्प लेना चाहिये। आयुष विभाग के शासकीय आयुर्वेद औषधालय बनगांव के चिकित्सा अधिकारी डॉ.किंशुक सोनी ने युवाओं को शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के उपाय बताये और योग व प्राणायाम को जीवन में अनिवार्य रूप से शामिल करने के लिये कहा । उन्होंने सुझाव दिया कि युवाओं को स्वस्थ जीवन के लिये आयुर्वेद और योग को अपनाना चाहिये ।
संगोष्ठी में कृषि विभाग के अनुविभागीय अधिकारी श्री नीलकंठ पटवारी ने सुझाव दिया कि जो विद्यार्थी कृषि की 4 वर्षीय डिग्री प्राप्त नहीं कर सकते हैं, वे कृषि विश्वविद्यालय से एक या दो वर्षीय डिप्लोमा प्रारंभ कर सकते हैं ताकि वे तकनीकी जानकारी लेकर स्वयं कृषि कार्य में स्वरोजगार स्थापित कर सकें। उन्होंने कीटनाशकों और उर्वरकों का प्रयोग कम करने, जैविक खेती और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का सुझाव भी दिया। उन्होंने बताया कि शासन द्वारा किसानों के लिए बहुत सी योजनाये चलाई जा रही है, किंतु युवाओं के लिये और नई योजनायें बननी चाहिये। जनजातीय कार्य विभाग के शासकीय कन्या शिक्षा परिसर की व्याख्याता श्रीमती गीता सर्वनन ने युवाओं को अपने जीवन में नैतिक शिक्षा अपनाने पर बल देते हुये कहा कि नैतिक मूल्य मनुष्य जीवन का आधार होते हैं और उसी पर युवाओं का भविष्य टिका है । संगोष्ठी का संचालन डॉ.टीकमणि पटवारी द्वारा किया गया। संगोष्ठी को सफल बनाने में डॉ.अभिताभ पांडे, डॉ.जी.व्ही.ब्रम्हने, डॉ.बी.के.डेहरिया, डॉ.सीमा सूर्यवंशी व डॉ.सन्ना लाल ने सहयोग प्रदान किया । संगोष्ठी में महाविद्यालय के प्राध्यापकगण और विद्यार्थीगण उपस्थित थे।


