मोहखेड सीईओ की उदासीनता के चलते पंचायतो में चल रही मनमानी
मोहखेड:-जनपद पंचायत की ग्राम लोनिया में पंचायत में स्वच्छ भारत अभियान को लेकर कितना गंभीर है इसकी बानगी देखते बनती है। ग्राम में स्वच्छता की हालत क्या होगी ये पंचायत भवन परिसर को देख सहज अंदाजा लगाया जा सकता है. पुरे परिसर में गाज़र घास उग आई है। या यों कहे की पंचायत ने गाजर घास की खेती शुरू कर दी है।
संपूर्ण देश में ग्राम पंचायत स्तर पर स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है और ग्राम पंचायत लोनिया पूरा पंचायत प्रांगण में गाजर घास उग आई है पंचायत के सारे कर्मचारी रोज पंचायत आते हैं लेकिन उन्हें प्रांगण में फैली गंदगी नहीं दिख रही। वह सिर्फ नाम मात्र के लिए पंचायत आते हैं पंचायत प्रांगण में फैली गंदगी का असर सारे ग्राम में देखने को मिल सकता है। जब पंचायत में ही यह हाल है तो सारे ग्राम में क्या हाल होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। ग्राम की सारी नालियों की कभी सफाई नहीं होती। जिसके कारण मच्छरों का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है लेकिन ग्राम पंचायत इस पर कोई कार्यवाही नहीं कर पा रही है।लगता ग्राम पंचायत के सरपंच और सचिव सिर्फ अपनी जेब भरने में लगे है ,उन्हें ग्राम की जनता से कोई लेना-देना नहीं है। यह सोचनीय विषय है। नाम न छापने की शर्त पर कुछ ग्रामीणों ने बताया कि गांव में कभी साफ सफाई होती ही नहीं। पंचायत के कर्मचारी की शिकायत कर दी जाए तो वह दुश्मनी का भाव रखते हैं और फिर कभी कोई काम पंचायत से पड़ जाए तो वहां नहीं करते हैं। इसीलिए कोई भी ग्रामीण पंचायत की कोई शिकायत नहीं करता। कुल मिला कर देखा जाय तो ग्रामीण त्रस्त है।
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कागजो पर पीसीओ कर रहे पंचायतों की मानिटरिंग
पंचायतों के विभिन्न कार्यो एंव व्यवस्था की देखरेख करने जिन पीसीओ की जिम्मेदारी सौपी गयी है,वह इस क्षेत्र में बेहद लापरवाह नजर आते है.बता दे लोनिया, लिंगा पंचायत में आज भी सूचना पटल पर किसी भी सबंधित जनप्रतिनिधि व अधिकारी-कर्मचारियों के न तो नाम-नंबर लिखे गये न ही भवनो की पुताई की गई. यहा तक लोनिया पंचायत परिसर फैले गंदगी आलम पर कोई नजर पड़ी.इस बात से साफ नजर आता है इस क्षेत्र कि जिस पीसीओ को जिम्मेदारी सौपी गयी वह सिर्फ कागजों पर पंचायतो की मानिटरिंग कर अपने उच्च अधिकारियों को झूठी रिपोर्ट देकर झूटी वाहवाही लूट रहे है.
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मोहखेड सीईओ की उदासीनता, पंचायतों में मनमानी
जनपद पंचायत मोहखेड सीईओ भागचंद टिमहरिया के उदासीन रवैये के चलते जनपद का सिस्टम भी लाचार नजर आता है.यहा तक कि पंचायतो कि शिकायतो पर वह गंभीर नही दिखते है.जिसका नतीजा उन्हें जनपद में आयोजित खंड स्तरीय विभागीय बैठक में जिला पंचायत अध्यक्ष की नाराजगी का सामना करना पड़ा.लेकिन सीईओ की कार्य प्रणाली पर कोई सुधार नजर नही आया जिसका नतीजन पंचायतों में दिख रही अव्यवस्था का आलम.सीईओ द्वारा पंचायतों की मानिटरिंग न किए जाने पंचायत सचिव भी बेपरवाह नजर आते है उन्हें पंचायत की में फैली गंदगी व अन्य व्यवस्था से कोई मतलब नही है।अगर सिस्टम के मुखिया लाचार है तो उनके कर्मचारी तो बेपरवाह रहेंगे. जिसका खामियाजा जनता को भुगताना पड़ रहा है.


