छिंदवाड़ा:-मोहखेड विकासखण्ड के ग्राम भंडारकुंड के आदिवासी जूनियर कन्या छात्रावास/आश्र में शिक्षा के साथ-साथ किचन गार्डन भी तैयार किया गया है, जिसमें मौसमी सब्जी जैसे बैंगन, गोभी ,सेमी, पालक,टमाटर, बरबटी, लोकी,मिर्च इत्यादि उगाई जाती है। छात्रावास का मुख्य उद्वेश्य विद्यालय से दूरस्थ निवासरत बच्चों को विद्यालय के निकट छात्रावास में रहकर भोजन, आवास एवं अच्छी शिक्षा उपलब्ध कराना है।भंडारकुंड छात्रा अधीक्षक श्रीमती विनीता चौरे ने बताया छात्रावास प्रांगण में शिक्षको ने छात्राओ के द्वारा बागवानी भी तैयार किया गया है, जिसमें सुंदर एवं सुगंधित फूलों के अलावा औषधि गुण वाले पौधें भी लगाए गये हैं, जिससे छात्रावास में शुद्ध एवं स्वच्छ वातावरण बना रहता है। छात्रावास में उपलब्ध रिक्त भूमि पर किचन गार्डन भी तैयार किया गया है, जिसमें जैविक एंव आधूनिक खेती की जा रही है.वर्तमान मौसमी सब्जी बैंगन,फुल गोभी,टमाटर,पत्ता गोभी,भटा,बरबटी,लोकी,मिर्च इत्यादि सब्जियों का उत्पादन किया जा रहा है। छात्रावास बच्चों को नैतिक विकास एवं अनुशासन के महत्व भी उन्हें बताया जाता है, जिससे छात्रावास में रहने वाले छात्राओ को कर्त्तव्यों का बोध कराया जाता है। प्रतिदिन प्रातःकाल एवं संध्या समय प्रार्थना करना एवं ईश्वर एवं प्रकृति का धन्यवाद करना सिखाया जाता है साथ ही विद्यालय से दिये गये गृहकार्य को समय के साथ पूर्ण करने के लिए कहा जाता है, जिससे छात्रा समय के महत्व को समझकर पूर्ण कर लेते हैं। छात्रावास परिसर में सफाई एवं बच्चों में स्वावलंबन की भावना जागृत करने के लिए सप्ताह में एक दिन श्रमदान लिया जाता है, इसके अतिरिक्त समय-समय पर छात्रावास में सांस्कृतिक, साहित्यिक कार्यक्रम एवं प्रतियोगिता का आयोजन भी किया जाता है जिससे बच्चों के प्रतिभा में निखार आ सके।
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तीन किलोमीटर दूर से आ रहा पानी
छात्रावास में परिसर न पानी की व्यवस्था न होने के चलते यहा की अधीक्षक के द्वारा तीन किलोमीटर दूर गोरखपुर गांव के रहने वाले किसान सुरेश नागरे के खेत से पानी लाया जा रहा है.कुछ पाइपलाइन किसान की है और 725 फीट पाइपलाइन छात्रावास की राशि से बिछाई गयी है.जिस पानी से छात्रावास में उपयोग के साथ खेती में किया जा रहा है.
इनका कहना
छात्रावास भवन के बाजू की खाली जमीन को खेती के लिए बना दिया गया है। जहां बच्चों को पढ़ाई के साथ साथ पार्ट टाइम खेती-बाड़ी का तरीका सिखा रहे हैं।बाड़ी में ही उगी सब्जी को बच्चों को परोसते हैं। बाहर से सब्जी खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती। बच्चों में बचपन से ही खेती-बाड़ी के प्रति दिलचस्पी पैदा हो रही है।
लाखाजी माटे,शिक्षक भंडारकुंड
कोरोनाकाल के समय से परिसर हमारे यहा शिक्षक लाखाजी माटे के विशेष प्रयास एंव शिक्षिकाओं के सहयोग से छात्रावास परिसर में हरी सब्जियों की खेती की जा रही है. परिसर में हर तरह की सब्जी जैसे बैंगन,टमाटर, बरबट्टी, सेमी, पत्ता गोभी, फूलगोभी के अलावा सीजन के हिसाब से सब्जियां उगाई जाती हैं. अभी वर्तमान में यहां लौकी, सेमी, टमाटर, बैंगन, पत्ता गोभी और बरबटी आदि लगाया गया है.
नीलिमा खापरे,अधीक्षक आदिवासी कन्या आश्रम भंडारकुंड

