मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के लखनादौन विकासखंड जन शिक्षा केंद्र धूमा ग्राम पंचायत मैं आदिवासी कन्या आश्रम संचालित हो रहा है जो कि भगवान भरोसे है शिक्षक रोज लखनादौन से आना जाना करते हैं 10:30 बजे आते हैं और 4:30 से बजे चली जाती हैं इस बीच में बच्चों के खान पीने का सुबह सुबह नाश्ते का एवं रात में खाने का कार्य भगवान भरोसे चलता है अधीक्षक के न रहने से अगर कोई अप्रिय घटना हो जाती है तो इसका जिम्मेदार कौन शिकायत करने पर भी जिला पर बैठे आल्हा अधिकारी सहायक आयुक्त ध्यान नहीं देते हैं क्या सब मिली भगत से चल रहा है खेल
छात्रावास अधीक्षक किसी भी संस्थान के छात्रावास का प्रमुख अधिकारी होता है। छात्रावास से सम्बन्धित समस्त कार्यों एवं दायित्वों का निर्वहन उसे बड़े ही सूझ-बूझ एवं सावधानी के साथ करना होता है। छात्रावास अधीक्षक के शारीरिक एवं मानसिक रूप से पूर्ण स्वस्थ एवं सन्तुलित होना चाहिए। उसे चारित्रिक रूप से स्वच्छ व निष्कलंक होना एक महत्वपूर्ण गुण है। चरित्रवान छात्रावास अधीक्षक ही छात्रावास छात्रों एवं छात्राओं के साथ सदाचार का व्यवहार कर उन्हें भी सदाचार की अनौपचारिक रूप से शिक्षा देने का कार्य कर सकता है। शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति ही इस पद के लिए अनुकूल होता है। सभी निवासी छात्रों को सुबह समय पर जगाना, दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्वल्पाहार कराना अध्ययन करने को तैयार करना तदुपरान्त विद्यालय भेजना, वापस आने पर पुनः उनके भोजन, खेल-कूद, व्यायाम, रात्रि भोजन, समय से सोने के लिए भेजना पुनः मध्य रात्रि में निगरानी रखना, इसके लिए उसका शारीरिक रूप से स्वस्थ होना अनिवार्य है। मानसिक रूप से भी स्वस्थ होना अनिवार्य है क्योंकि यदि वह मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं है तो वह उपरोक्त दायित्वों को सही ढंग से निर्वहन नहीं कर सकेगा। साथ ही वह अपने चारित्रिक व्यवहार को भी नियन्त्रित नहीं रख सकेगा। ईमानदारी, अनुशासन, समय का पाबन्द होना भी छात्रावास अधीक्षक के महत्वपूर्ण गुण हैं। इन गुणों को वह अपने व्यवहार में अपनाकर छात्रों को भी इन गुणों की शिक्षा देने का कार्य करता है।

