बालाघाट 21 अगस्त 24:-
गत दिवस मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग और राजस्व विभाग द्वारा जनजातीय क्षेत्र बिरसा मंडई गांव में अवैध रूप से क्लीनिक पर उपचार करने के मामलें में दो अवैध क्लीनिक बंद किये गए है। सीएमएचओ डॉ. मनोज पांडे ने बताया कि 15 जुलाई को शासन द्वारा किये आदेशानुसार व कलेक्टर श्री मृणाल मीना के निर्देशानुसार स्वास्थ्य व राजस्व विभाग द्वारा नागेंद्र सूर्यवंशी व श्रवण कुमार माथुर के विरुद्ध कार्रवाई की गई। दल द्वारा मंडई के वार्ड नं.4 में निजी आवास में नागेंद्र सूर्यवंशी द्वारा पिछले 7 से 8 वर्षो से चिकित्सा का व्यावसाय किया जा रहा था।
इसी तरह यहां के वार्ड नं.3 में भी अशोक तुरकर के आवास को किराए से लेकर श्रवण कुमार माथुर द्वारा देढ़ वर्षो से क्लीनिक संचालित किया जा रहा था। दोनों स्थलों से दल द्वारा एलोपैथिक इंजेक्शन के अलावा एलोपैथिक दवाईयां, बीपी अप्रेट्स व स्टेथोस्कोप आदि पाये गए। श्री सूर्यवंशी से चिकित्सीय योग्यता के सम्बंध में दस्तावेज मांगे गए। प्रस्तुत दस्तावेजो में नेशनल बोर्ड ऑफ अल्टरनेटिव सिस्टम ऑफ मेडिसिन जबलपुर से बैचलर ऑफ अल्टरनेटिव मेडिसिन एंड सर्जरी की योग्यता नेशनल एजुकेशनल अकेडमी दुर्ग से वर्ष 2006 में प्राप्त की गई। इनके क्लीनिक में दल ने एक रोगी को टेबल पर लेटा हुआ तथा क्लीनिक में 6 अन्य रोगी मौजूद थे। साथ ही परीक्षण टेबल के आसपास इंजेक्शन के टुकड़े भी पाए गए।
इसके अलावा श्रवण कुमार माथुर छत्तीसगढ़ के कवर्धा का निवासी है। जो बैचलर इन फार्मेसी में पंजीयन छत्तीसगढ़ से कराना बताया गया। लेकिन में सारे दस्तावेज प्रस्तुत नही किये। इनके क्लीनिक से भी एलोपैथिक सामग्रियां पायी गई। सीएमएचओ डॉ.पांडे ने बताया कि बी.फार्मा योग्यताधारी व्यक्ति मप्र में पंजीयन के बाद औषधि विक्रय का लाइसेंस प्राप्त करने के बाद औषधियों का विक्रय कर सकता है। जबकि किसी प्रकार से एलोपैथिक चिकित्सा नही कर सकता है। दोनों क्लीनिक गैर मान्यता प्राप्त योग्यताधारी एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति से रोगियों का उपचार कर चिकित्सा व्यावसाय कर रहें व्यक्तियों के विरुद्ध मप्र आयुर्विज्ञान परिषद अधिनियम 1987 की धारा 24 के अधीन वैधानिक कार्रवाई के लिए बिरसा थाने ने प्रकरण भेजा गया है। दल में तहसीलदार श्री राजूलाल नामदेव, प्र.जिला स्वास्थ्य अधिकारी श्री रित्विक पटेल व बीएमओं डॉ. सुनील सिंह शामिल रहें।

