परासिया। वेकोलि के केंद्रीय चिकित्सालय बड़कुही में हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. सुभाष सिंह के एक सप्ताह पूर्व सेवानिवृत्त हो जाने के बाद मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अब तक उनके स्थान पर कोई नया चिकित्सक नियुक्त नहीं किया गया है। इस कारण हड्डी रोग से संबंधित इलाज पूरी तरह से ठप हो गया है।
पिछले सप्ताह से अस्पताल में आए हड्डी रोग के मरीज बिना इलाज के लौटने को मजबूर हैं। बड़कुही अस्पताल पेच क्षेत्र की कोयला खदानों और इकाइयों में काम करने वाले कर्मचारियों एवं अधिकारियों के साथ-साथ कन्हान क्षेत्र से आने वाले मरीजों के लिए भी एकमात्र भरोसा है। इसके अलावा केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के जवानों और खदानों में काम करने वाले ठेका मजदूरों का भी यहां इलाज होता था।
निजी क्लीनिक जाने को मजबूर मरीज
हड्डी रोग विशेषज्ञ की अनुपस्थिति में गंभीर मरीजों को नागपुर रेफर किया जा रहा है, जबकि सामान्य मरीज मजबूरी में निजी क्लीनिक का सहारा ले रहे हैं। इससे मरीजों को आर्थिक और मानसिक दोनों तरह से परेशानी हो रही है।
जांच सुविधाओं का भी अभाव
डिजिटल एक्स-रे मशीन की कमी
बड़कुही अस्पताल में वर्षों पुरानी एक्स-रे मशीन से जांच की जाती है, जिसमें रिपोर्ट स्पष्ट नहीं आती। खदान कर्मचारियों को डिजिटल एक्स-रे के लिए चंदामेटा के सिविल अस्पताल या जिला अस्पताल भेजा जाता है। कई मरीज निजी क्लीनिक में महंगे एक्स-रे कराकर रिपोर्ट लेकर आते हैं।
सोनोग्राफी मशीन भी बंद
अस्पताल में 7 साल से 20 लाख रुपए की लागत वाली सोनोग्राफी मशीन खराब पड़ी हुई है। गर्भवती महिलाओं और अन्य बीमारियों के लिए सोनोग्राफी आवश्यक होने के बावजूद मरीजों को जिला अस्पताल भेजा जाता है। कई बार मरीज निजी क्लीनिक में महंगे सोनोग्राफी टेस्ट करवाने को मजबूर हो जाते हैं।
मरीजों की सुविधाओं पर उठ रहे सवाल
बड़कुही अस्पताल में इलाज और जांच उपकरणों की कमी से क्षेत्र के मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। विशेषज्ञों और उपकरणों की कमी को जल्द पूरा करने की मांग उठ रही है।

