छिंदवाड़ा - छिंदवाड़ा से आमला और आमला से छिंदवाड़ा के बीच चलने वाली मेमो ट्रेन स्थानीय लोगों के लिए जीवनरेखा के समान है। रोज़गार, शिक्षा और नौकरी के सिलसिले में महिला और पुरुष यात्री इस ट्रेन का उपयोग करते हैं। लेकिन इस ट्रेन में महिलाओं और छात्राओं के लिए अलग महिला कोच की अनुपलब्धता एक गंभीर समस्या बन गई है।
यात्रा के दौरान लगातार महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और अपराधी प्रवृत्ति के लोगों की मौजूदगी की घटनाएं सामने आ रही हैं। शराब पीने वाले और आपत्तिजनक हरकतें करने वाले लोग ट्रेन में सवार होकर महिलाओं और छात्राओं को परेशान करते हैं। बाथरूम की हालत दयनीय है और बोगियों की कमी के चलते ट्रेन खचाखच भरी रहती है। इस कारण बुजुर्ग और महिलाएं भी असुविधा झेलने को मजबूर हैं।
रेलवे प्रशासन की चुप्पी और रेलवे पुलिस की गैरमौजूदगी से अपराधी तत्वों के हौसले बुलंद हैं। यह स्थिति न केवल महिलाओं की सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि छिंदवाड़ा जिले की छवि को भी प्रभावित कर रही है।
राष्ट्रीय संगठन मंत्री की मांग:
"ब्रॉड गेज रेलवे संघर्ष समिति" के राष्ट्रीय संगठन मंत्री राजेंद्र अग्रवाल ने इस स्थिति पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि महिलाओं और छात्राओं की सुरक्षा के लिए ट्रेन में दो महिला कोच जोड़े जाएं। इन कोचों में महिला आरपीएफ कर्मियों की तैनाती सुनिश्चित की जाए। साथ ही, नियमित रूप से रेलवे पुलिस की गश्त हो, ताकि शराबी और आपराधिक तत्वों पर लगाम लगाई जा सके।
उन्होंने क्षेत्र के नवनिर्वाचित सांसद विवेक बंटी साहू से इस मुद्दे पर तुरंत संज्ञान लेने और रेलवे अधिकारियों को आवश्यक निर्देश देने की अपील की है।
समाधान आवश्यक:
यह समय की मांग है कि महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए। महिला कोच की उपलब्धता और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम से महिलाओं को न केवल सुरक्षित माहौल मिलेगा, बल्कि समाज में सकारात्मक संदेश भी जाएगा।

