एक अकेला चला और कारवां बनता गया, कन्हान क्षेत्र फिर हुआ आबाद
राजनीति, श्रमिक संगठनों और आम जनता के साथ मिलकर मनीष (बंटी) साहू ने रचा इतिहास
अगर इरादे नेक हों और संघर्ष सच्चा हो, तो जीत निश्चित होती है।"
मनेश साहु 9407073701
जुन्नारदेव: कहते हैं, अगर इरादे मजबूत हों और कुछ कर गुजरने की चाह हो, तो पूरी कायनात भी आपकी राह में रोड़े नहीं अटका सकती। यही बात सच कर दिखाई है मनीष बंटी साहू और उनके नेतृत्व में गठित कन्हान बचाओ मंच ने।
कभी उजाड़ होते जुन्नारदेव-कन्हान क्षेत्र में आज फिर से उम्मीदों की किरण दिखाई देने लगी है। यह सब संभव हुआ है उस संघर्ष के कारण, जो इस क्षेत्र को बचाने के लिए किया गया। कन्हान बचाओ मंच के संस्थापक मनीष बंटी साहू ने इस क्षेत्र के हित में तन-मन-धन से खुद को समर्पित कर दिया और जनता, व्यापारियों, श्रमिक संगठनों एवं नेताओं को एक मंच पर लाकर क्षेत्र की खुशहाली वापस लाई।
कन्हान बचाओ आंदोलन: संघर्ष की कहानी
कोयला खदानों के बंद होने से जुन्नारदेव-कन्हान क्षेत्र पूरी तरह उजड़ने की कगार पर था। रोजगार खत्म हो रहे थे, व्यापार ठप पड़ रहा था, और लोगों का पलायन बढ़ता जा रहा था। ऐसे में मनीष बंटी साहू ने कन्हान बचाओ मंच के बैनर तले संघर्ष की शुरुआत की।
सबसे पहले उन्होंने क्षेत्र के युवाओं, व्यापारियों और आम जनता को एक मंच पर लाया। इसके बाद बीएमएस (भारतीय मजदूर संघ), संयुक्त मोर्चा यूनियन, स्थानीय नेताओं और राजनीतिक दलों से संपर्क किया। संघर्ष को आगे बढ़ाते हुए, मुख्यमंत्री से लेकर गृह मंत्री, वन मंत्री और कोयला मंत्री तक इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाया गया।
मुख्य रूप से संपर्क किए गए नेता:
शिवराज सिंह चौहान (पूर्व मुख्यमंत्री)
अमित शाह (गृह मंत्री)
विजय शाह (वन मंत्री)
प्रह्लाद पटेल (केंद्रीय कोयला मंत्री)
कमल पटेल (कृषि मंत्री)
नाथन शाह कवरेती (स्थानीय विधायक)
विवेक बंटी साहू (सांसद, छिंदवाड़ा)
संघर्ष के दौरान कन्हान बचाओ मंच को सभी राजनीतिक दलों और संगठनों का समर्थन मिला।
चुनाव में भी गूंजा कन्हान बचाओ मंच का मुद्दा
लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा के घोषणापत्र में कन्हान बचाओ मंच के मुद्दे को शामिल किया गया। इसमें वन विभाग की मंजूरी (NOC) दिलाकर नई कोयला खदानें खोलने की बात प्रमुख रूप से रखी गई थी। गृहमंत्री अमित शाह ने स्वयं मंच की मांगों को समर्थन देते हुए बंद पड़ी खदानों को पुनः चालू करने और नई खदानें खोलने की घोषणा की थी।
चुनाव जीतने के बाद, सांसद विवेक बंटी साहू ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और वादा निभाते हुए कोयला खदानों की मंजूरी दिलाने के लिए भोपाल से दिल्ली तक संघर्ष किया।
संघर्ष रंग लाया: भारत खदान और मोहन कालरी को NOC मिली
कन्हान बचाओ मंच के अथक प्रयासों से भारत खदान और मोहन कालरी (मोआरी) को वन विभाग से NOC मिल गई है। इसके चलते क्षेत्र में फिर से कोयला उत्पादन शुरू होने जा रहा है।
इससे जुन्नारदेव-कन्हान क्षेत्र को कई लाभ होंगे:
✔ रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे
✔ स्थानीय व्यापार और व्यवसाय फिर से फले-फूलेंगे
✔ उद्योगों और मजदूरों को पुनः काम मिलेगा
✔ क्षेत्र में आर्थिक स्थिरता लौटेगी
कोयला मजदूरों का भी साथ मिला
कन्हान बचाओ मंच ने तांसी से दमुआ-जुन्नारदेव तक आंदोलन किया। इसमें स्थानीय कोयला खदान मजदूरों ने भी अपनी मांगों के साथ भाग लिया। यह आंदोलन धीरे-धीरे जन आंदोलन में बदल गया और हजारों की संख्या में लोग इस मुहिम से जुड़ते गए।
विरोधों के बावजूद संघर्ष जारी रखा
संघर्ष के दौरान कन्हान बचाओ मंच को कई विरोधों का भी सामना करना पड़ा। कुछ लोगों ने इसे राजनीतिक स्वार्थ से प्रेरित बताया, लेकिन मनीष बंटी साहू और उनके साथियों ने हिम्मत नहीं हारी और पूरी ईमानदारी से क्षेत्र के भविष्य के लिए लड़ाई जारी रखी।
सांसद विवेक बंटी साहू की महत्वपूर्ण भूमिका
सांसद विवेक बंटी साहू ने भोपाल से दिल्ली तक दौड़ लगाकर सरकार और मंत्रालय से इस मुद्दे को सुलझाने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने खुद केंद्रीय कोयला मंत्री, वन मंत्री, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय से संपर्क कर क्षेत्र की खदानों की मंजूरी दिलाने में अहम योगदान दिया।
जनता ने किया आभार व्यक्त
कन्हान क्षेत्र के उजाड़ होने से बचाने की इस ऐतिहासिक जीत पर कन्हान बचाओ मंच और आम जनता ने सांसद विवेक बंटी साहू और संघर्ष करने वाले सभी साथियों का आभार व्यक्त किया।
निष्कर्ष: संघर्ष अभी भी जारी है
कन्हान बचाओ मंच की इस सफलता से जुन्नारदेव-कन्हान क्षेत्र के लोग फिर से आशान्वित हुए हैं। हालाँकि, अभी भी कई मुद्दे समाधान की प्रतीक्षा में हैं, और मंच ने अपनी मुहिम को जारी रखने का संकल्प लिया है।
"अगर इरादे नेक हों और संघर्ष सच्चा हो, तो जीत निश्चित होती है।"

