पत्रकारों के विरुद्ध मामलों के उच्च स्तरीय पुनरावलोकन के निर्देश जारी
भोपाल। पुलिस मुख्यालय, मध्य प्रदेश, भोपाल द्वारा पत्र संख्या: 6462/2017 दिनांक 12 दिसंबर 2017 को समस्त पुलिस अधिकारियों को निर्देश जारी कर पत्रकारों के विरुद्ध की गई कार्यवाहियों और उनके लंबित आपराधिक प्रकरणों की उच्च स्तरीय समीक्षा करने के आदेश दिए गए हैं।
निर्देशों का मुख्य सारांश:
➡️ पत्रकारों के विरुद्ध दायर प्रकरणों की समीक्षा अनिवार्य:
पत्रकारों पर दर्ज मामलों को बिना उच्च स्तरीय पुनरावलोकन के आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। यदि किसी पत्रकार के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया है तो उसे न्यायालय में प्रस्तुत करने से पूर्व पुलिस अधीक्षक एवं उप पुलिस महानिरीक्षक/महानिरीक्षक द्वारा अनिवार्य रूप से समीक्षा की जाएगी।
➡️ दुर्भावनापूर्ण मामलों पर विशेष सतर्कता:
पुलिस अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि पत्रकारों पर दर्ज किसी भी मामले में यदि दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई की गई है, तो उस पर तत्काल रोक लगाई जाए और संबंधित अधिकारियों को जवाबदेह बनाया जाए।
➡️ नियमित जानकारी का आदान-प्रदान:
प्रत्येक माह की समाप्ति पर क्षेत्रीय उप पुलिस महानिरीक्षक इस प्रकार के मामलों की समीक्षा कर अपनी रिपोर्ट पुलिस महानिरीक्षक (शिकायत) को प्रस्तुत करेंगे।
➡️ अनावश्यक मामलों में कार्यवाही से बचने के निर्देश:
यदि किसी भी पत्रकार पर दर्ज मामला अनावश्यक या दुर्भावनापूर्ण प्रतीत होता है, तो उसे न्यायालय में भेजने से पहले वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की अनुमति आवश्यक होगी।
पृष्ठभूमि:
पत्रकार संगठनों द्वारा बार-बार शिकायतें प्राप्त हो रही थीं कि पत्रकारों पर गैरजरूरी और दुर्भावनापूर्ण प्रकरण दर्ज किए जा रहे हैं। इस संदर्भ में पुलिस मुख्यालय द्वारा विभिन्न आदेशों और पत्रों के माध्यम से प्राप्त निर्देशों को एकीकृत कर यह नया निर्देश जारी किया गया है।
पुलिस मुख्यालय की सख्त चेतावनी:
पुलिस महानिदेशक द्वारा यह स्पष्ट कर दिया गया है कि यदि किसी भी स्तर पर इन निर्देशों की अवहेलना होती है तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
संदर्भ:
1. गृह (पुलिस) विभाग, आदेश क्रमांक - 5811/6079/86(1) दो, दिनांक 24.09.1986
2. पुलिस मुख्यालय पत्र क्रमांक - 1799/97, दिनांक 23.12.1999
3. पुलिस मुख्यालय पत्र क्रमांक - 3303/2004, दिनांक 30.06.2004
4. गृह (पुलिस) विभाग, आदेश क्रमांक - 7353/1414/05, दिनांक 27.12.2005
निष्कर्ष:
यह निर्देश पत्रकारों के अधिकारों की रक्षा और निष्पक्ष न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे पत्रकारों को झूठे प्रकरणों से राहत मिलेगी और प्रशासन में पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।

