छिंदवाड़ा जिले के जुन्नारदेव तहसील के रैनी धाम (बुर्रीकला) में लगने वाला ऐतिहासिक मेघनाद मेला शनिवार से शुरू होने जा रहा है। यह मेला सदियों पुरानी परंपरा और लोक आस्था का प्रतीक है, जिसमें श्रद्धालु दूर-दूर से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए खंडेरा बाबा के दर्शन करने आते हैं।
छिंदवाड़ा, बैतूल, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, सिवनी, बालाघाट सहित मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के कोने-कोने से हजारों श्रद्धालु इस मेले में शामिल होते हैं। मान्यता है कि लंकेश रावण के पुत्र मेघनाद (इंद्रजीत) आदिवासियों के आराध्य देव हैं और यहां स्थित खंडेरा बाबा के मंदिर में उनकी कृपा से हर मनोकामना पूरी होती है।
🔹 खंडेरा बाबा के दर्शन से मेले का शुभारंभ
रैनी धाम में लगने वाले इस ऐतिहासिक मेले की शुरुआत खंडेरा बाबा के दर्शन और विशेष पूजा-अर्चना से होती है। वर्षों पुरानी मान्यता के अनुसार, जो भी श्रद्धालु इस पवित्र स्थल पर सच्चे मन से मन्नत मांगता है, उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
🔹 मन्नत पूरी होने पर ‘वीर’ चढ़ाने की परंपरा
इस मेले की सबसे अनूठी और रहस्यमयी परंपरा है ‘वीर चढ़ाने’ की प्रथा। जिन भक्तों की मन्नत पूरी हो जाती है, वे इस अनुष्ठान को पूरा करने के लिए वीर लेकर खंडेरा बाबा के पास आते हैं।
📌 क्या होता है ‘वीर चढ़ाना’?
मेले की शुरुआत होते ही, जिन लोगों की मन्नत पूरी होती है, उनके घरों में कोई न कोई व्यक्ति ‘वीर’ के रूप में शक्ति से भर जाता है। जैसे ही मेला शुरू होता है, उसके शरीर में एक दिव्य ऊर्जा आ जाती है और वह बिना किसी रोक-टोक के खंडेरा बाबा की ओर दौड़ने लगता है।
🔹 कैसे लाते हैं वीर को खंडेरा बाबा के पास?
वीर के शरीर में इतनी शक्ति होती है कि कई लोग मिलकर भी उसे संभाल नहीं पाते।
घर से उसे स्नान कराकर, नए कपड़े पहनाकर और रस्सियों से बांधकर लाया जाता है।
जैसे ही वह खंडेरा बाबा के पास पहुंचता है, उसकी यह रहस्यमयी शक्ति शांत हो जाती है और वह सामान्य अवस्था में लौट आता है।
यह दृश्य देखने के लिए मेले में हजारों की भीड़ उमड़ती है।
🔹 आज भी जारी है बलि प्रथा, मुर्गे और बकरे की होती है बलि
तकनीक और आधुनिकता के इस युग में भी रैनी धाम में पशु बलि की परंपरा पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ निभाई जाती है। जिनकी मन्नत पूरी होती है, वे मुर्गा या बकरा बलि चढ़ाकर खंडेरा बाबा का आभार प्रकट करते हैं।
📌 कैसे होती है बलि?
भक्त अपने साथ मुर्गा या बकरा लेकर आते हैं और पहले उन्हें खंडेरा बाबा के स्थान पर चढ़ाते हैं।
इसके बाद उनकी बलि देकर, प्रसाद के रूप में भोजन बनाकर सभी लोग इसे ग्रहण करते हैं।
🔹 होली के बाद पंचमी तक खेली जाती है धुरेंडी
जहां देशभर में होलिका दहन के अगले दिन रंग खेला जाता है, वहीं रैनी धाम में होली के बाद पूरे पांच दिन तक धुरेंडी (रंगों का त्योहार) मनाया जाता है। इस दौरान श्रद्धालु रंग-गुलाल उड़ाकर मेले की खुशियों में शामिल होते हैं।
🔹 पहाड़ों की गुफाएं और शेषनाग की चट्टान बनीं आकर्षण का केंद्र
मेले में दर्शन के साथ-साथ प्राकृतिक सौंदर्य का भी अद्भुत संगम देखने को मिलता है। यहां के पहाड़ों में स्थित प्राचीन गुफाएं और शेषनाग की चट्टानें श्रद्धालुओं के आकर्षण का मुख्य केंद्र बनी रहती हैं।
📸 सेल्फी प्रेमियों के लिए स्वर्ग
लोग इन प्राकृतिक स्थलों पर बड़ी संख्या में सेल्फी लेने के लिए उमड़ते हैं।
शेषनाग की चट्टान और पहाड़ी गुफाओं के अद्भुत नज़ारे, मेले को और भी खास बनाते हैं।
🔹 मेला समिति द्वारा की गई विशेष व्यवस्थाएं
रैनी धाम में लगने वाले इस ऐतिहासिक मेले में ग्राम पंचायत और मेला समिति द्वारा विशेष व्यवस्थाएं की जाती हैं।
✔ सुरक्षा व्यवस्था – पुलिस प्रशासन तैनात रहेगा, ताकि मेले में किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो।
✔ बिजली और पानी की सुविधा – श्रद्धालुओं के लिए पीने के पानी और रोशनी की समुचित व्यवस्था की गई है।
✔ आवागमन सुविधा – श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विशेष वाहन सेवाएं चलाई जाएंगी।
✔ साफ-सफाई – मेले के दौरान पूरे क्षेत्र में स्वच्छता बनाए रखने की विशेष व्यवस्था की गई है।
🔹 रोजगार का भी बड़ा अवसर
मेले में सिर्फ धार्मिक आयोजन ही नहीं, बल्कि यह हजारों लोगों के लिए रोजगार का सुनहरा अवसर भी है। यहां खाद्य सामग्री, खिलौने, कपड़े, पूजन सामग्री और अन्य वस्तुओं की सैकड़ों दुकानें लगती हैं, जिससे स्थानीय व्यापारी भी लाभान्वित होते हैं।
🔹 ऐतिहासिक आस्था और परंपरा का संगम
मेघनाद मेला सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह आदिवासी संस्कृति, लोक परंपराओं और आध्यात्मिक आस्था का प्रतीक है। यह मेला समाज को एकजुट करने, श्रद्धालुओं की भावनाओं को मजबूत करने और ऐतिहासिक परंपराओं को जीवित रखने का माध्यम है।
📍 रैनी धाम आने वाले श्रद्धालुओं से अपील
👉 अपने साथ किसी भी प्रकार की प्लास्टिक सामग्री न लाएं, जिससे क्षेत्र की स्वच्छता बनी रहे।
👉 सुरक्षा नियमों का पालन करें और प्रशासन के निर्देशों का सहयोग करें।
👉 पारंपरिक रीति-रिवाजों और धार्मिक परंपराओं का सम्मान करें।
📌 रैनी धाम के इस पावन मेले में सभी श्रद्धालु सादर आमंत्रित हैं। आइए, इस ऐतिहासिक मेले का हिस्सा बनें और खंडेरा बाबा का आशीर्वाद प्राप्त करें!
📢 विशेष संवाददाता, जुन्नारदेव

