छिंदवाड़ा/परासिया।
गर्मी की शुरुआत के साथ ही जिले के ग्रामीण अंचलों में जल संकट गहराने लगा है। ठेकेदार की लेटलतीफी और जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते कई वार्डों में आज भी पेयजल की नियमित आपूर्ति नहीं हो पा रही है, जिससे आमजन खासकर महिलाएं और बुजुर्ग परेशान हैं।
गुढ़ी-अंबाड़ा क्षेत्र में हालात बद से बदतर
गुढ़ी और अंबाड़ा के पालाचौरई, बस्ती, पालाचौरई साइडिंग, वार्ड क्रमांक 1, 2, 3, 4, नागराज कॉलोनी, पीपाढाना, वार्ड क्रमांक 6, 13, 14 ए, हनुमान दफाई, चर्च मोहल्ला जैसे इलाकों में जल संकट गंभीर होता जा रहा है। यहां के निवासी वर्षों से पेयजल संकट से जूझ रहे हैं। ठेकेदार द्वारा पाइपलाइन बिछाने में हो रही देरी के चलते समस्या और भी विकराल हो गई है।
8-10 दिन में मुश्किल से 3 घंटे मिल रहा पानी
पालाचौरई क्षेत्र में पीएचई विभाग द्वारा 8-10 दिन के अंतराल में महज 2-3 घंटे ही जल आपूर्ति की जा रही है। इससे ग्रामीणों को अन्य वैकल्पिक स्रोतों जैसे कुएं, हैंडपंप या निजी बोरवेल पर निर्भर रहना पड़ रहा है। लेकिन इन स्रोतों का जलस्तर भी लगातार गिरता जा रहा है।
पाताल में समा गया पानी, पिपराज में गहराया संकट
ग्राम पंचायत चरई के अंतर्गत आने वाले वार्ड नंबर 13, ग्राम पिपराज में भी जल संकट भयावह रूप ले चुका है। यहां कुएं और हैंडपंप सूख चुके हैं। ओसीएम खदान संचालन के चलते जलस्तर तेजी से गिरा है, जिससे पानी पीने लायक नहीं बचा है। ग्रामीणों को डेढ़ किलोमीटर दूर स्थित निजी बोरवेल तक रेलवे ट्रैक पार कर पानी भरने जाना पड़ रहा है, जिससे जान का जोखिम भी बना रहता है।
निजी बोर पर निर्भर ग्रामीण
पिपराज के ग्रामीण फिलहाल शांता बाई के कुएं में करवाए गए बोरवेल पर निर्भर हैं, लेकिन उसमें भी अब गिनती के दिन बचे हैं। पानी की कमी के कारण आने वाले दिनों में स्थिति और गंभीर हो सकती है।नजरपुर में भी हाल बेहाल, महीनों में मुश्किल से दो बार मिल रहा पानी
ग्राम पंचायत नजरपुर, जिसकी जनसंख्या लगभग 1600 है, वहां भी 16 वार्डों में जल संकट गहराया हुआ है। नल जल योजना होने के बावजूद आठ दिन में एक घंटे भी जल आपूर्ति नहीं हो पा रही है। कई वार्डों में पाइपलाइन से पानी के बजाय केवल हवा आ रही है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर हालात यूं ही बने रहे तो अगले पंद्रह-बीस दिनों में जल संकट और विकराल हो जाएगा।
जल जीवन मिशन की टंकी भी विवादों में उलझी
नजरपुर में जल जीवन मिशन योजना के तहत बनाई जा रही ओवरहेड टंकी का निर्माण भी विवादों के चलते अधर में लटक गया है। इससे ग्रामीणों को अब तक कोई लाभ नहीं मिल सका है और उन्हें वैकल्पिक स्रोतों से पानी लाने को मजबूर होना पड़ रहा है।
महिलाओं पर सबसे ज्यादा असरग्रामीण क्षेत्रों में जल संकट का सबसे बड़ा भार महिलाओं पर पड़ा है। उन्हें दिन भर दूर-दराज जाकर पानी भरकर लाना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने प्रशासन से जल्द से जल्द पेयजल संकट का स्थाई समाधान निकालने और नलजल योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने की मांग की है।

