सिवनी/लखनादौन:
सिवनी जिले के लखनादौन विकासखंड अंतर्गत आदिवासी कन्या आश्रम खाखरिया से एक गंभीर मामला सामने आया है। आश्रम की अधीक्षिका पर आरोप हैं कि उन्होंने एक ग्रामीण आदिवासी महिला से नौकरी दिलाने के नाम पर ₹50,000 की रकम वसूली, उसे लगभग 9 महीने तक काम कराया और मेहनताना तक नहीं दिया।
नौकरी का झांसा और रकम की वसूली:
पीड़ित महिला का कहना है कि अधीक्षिका ने नौकरी दिलाने के लिए ₹50,000 “प्रक्रियात्मक खर्च” के रूप में मांगे। महिला ने पूरी रकम जमा कराई, लेकिन नियुक्ति आदेश मिलने के बजाय उसे छात्रावास में अंशकालिक चपरासी के रूप में काम करने के लिए बुला लिया गया। नौ महीने तक काम करने के बावजूद उसे कोई वेतन नहीं मिला।
मानसिक प्रताड़ना और धमकियाँ:
महिला ने आरोप लगाया कि जब उसने वेतन और पैसे की वापसी मांगी, तो अधीक्षिका ने उसे धमकाया और अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया। इसके अलावा, अधीक्षिका ने जबरन कुछ कागजों पर साइन कराने का दबाव डाला, ताकि महिला कोई शिकायत न कर सके।
भ्रष्टाचार और शोषण का प्रतीक:
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यह घटना न केवल व्यक्तिगत शोषण है बल्कि सरकारी आश्रमों में गरीब और अनपढ़ आदिवासी महिलाओं के शोषण की गंभीर समस्या को उजागर करती है। कुछ ग्रामीणों का दावा है कि अधीक्षिका की यह हरकत लंबे समय से चली आ रही है और कभी विभागीय स्तर पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
शिकायत और न्याय की मांग:
पीड़ित महिला ने इस मामले में लखनादौन बीडीओ, एसडीएम और स्थानीय पुलिस थाना में लिखित आवेदन प्रस्तुत किया है। इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अधीक्षिका ने नौकरी का लालच देकर रकम वसूली, नौ महीने तक काम करवाया और मानसिक प्रताड़ना दी। महिला ने अधीक्षिका की संपत्ति की जांच और अन्य अधिकारियों पर भी कार्रवाई की मांग की है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया:
लखनादौन बीडीओ ने कहा, "मुझे आज इस घटना की जानकारी मिली है। मैंने तुरंत प्राथमिक जांच के आदेश दिए हैं। एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी। यदि आरोप सही पाए गए तो कार्रवाई निश्चित होगी।"
ग्रामीणों में आक्रोश:
यह खबर फैलते ही स्थानीय ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं में नाराज़गी बढ़ गई है। कई लोगों ने चेतावनी दी कि यदि उचित कार्रवाई नहीं हुई तो वे धरना प्रदर्शन करेंगे। एक ग्रामीण महिला ने कहा, "सरकार आश्रम खोलती है बच्चों की पढ़ाई के लिए, लेकिन कुछ अधीक्षिकाएँ इसे अपनी कमाई का ज़रिया बना लेती हैं।"
भ्रष्टाचार की गहन जांच आवश्यक:
विशेषज्ञों का कहना है कि इस मामले में केवल अधीक्षिका पर कार्रवाई करना पर्याप्त नहीं है। विभाग के भीतर विस्तृत ऑडिट और विजिलेंस जांच होनी चाहिए ताकि भविष्य में किसी गरीब महिला के साथ ऐसा दुर्व्यवहार न हो।
निष्कर्ष:
यह मामला सिर्फ ₹50,000 की ठगी का नहीं है, बल्कि यह गरीब महिला की मेहनत, इज्जत और विश्वास के साथ किया गया खिलवाड़ है। प्रशासन और सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। अगर समय पर कार्रवाई नहीं हुई, तो यह संदेश जाएगा कि गरीबों की आवाज़ का कोई मोल नहीं।