दीपों की रौशनी और श्रद्धा से गूंज उठा पूरा नगर
सिवनी (बरघाट)। दीपावली पर्व के पावन अवसर पर नरक चतुर्दशी के दिन बरघाट नगर भक्ति और उत्सव के दिव्य रंगों में रंगा नजर आया। मंगल भवन के सामने स्थापित मां महाकाली की विशाल प्रतिमा के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। दीपों की लौ और भक्ति के स्वर से आलोकित नगर में हर ओर “जय मां काली” के उद्घोष गूंजते रहे। नौ दिनों तक चलने वाले इस महाकाली उत्सव ने पूरे बरघाट क्षेत्र को धार्मिक ऊर्जा और श्रद्धा से ओतप्रोत कर दिया।
संगठन महामंत्री महेंद्र सोनी ने बताया कि धनतेरस के अगले दिन नरक चतुर्दशी पर प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त संपन्न हुआ, जिसके तहत मां काली की प्रतिमा का विधिवत पूजन किया गया। आरती के समय दीपों से जगमगाए परिसर में भक्तों ने मां के चरणों में अपनी आस्था अर्पित की। पारंपरिक वेशभूषा में महिलाएं, दीपक लिए बच्चे और उत्साह से भरपूर युवा पूरे नगर में भक्ति का माहौल निर्मित कर रहे थे।
भव्य प्रदर्शनी बनी आकर्षण का केंद्र
मां काली पूजा उत्सव समिति द्वारा इस वर्ष भी आयोजन को भव्यता के साथ संपन्न किया गया। समिति ने मां के मंडप के सामने एक विशेष प्रदर्शनी का आयोजन किया, जिसमें धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक संदेशों को आकर्षक झांकियों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया। शाम ढलते ही आरती की संगीतमय ध्वनि और रंग-बिरंगे प्रकाश से पूरा नगर आध्यात्मिक समरसता से भर उठा।
संस्कृति और एकता का प्रतीक बना आयोजन
समिति अध्यक्ष अमित सूर्यवंशी ने कहा कि मां काली पूजा केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि संस्कृति, एकता और सामाजिक समरसता का प्रतीक बन चुकी है। यह उत्सव समाज में प्रेम, सौहार्द और एकता का संदेश देता है। श्रद्धालुओं के चेहरों पर झिलमिलाते दीपों की आभा यह दर्शाती है कि भक्ति केवल मंदिर तक सीमित नहीं, बल्कि जीवन का उत्सव है।
नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा बना उत्सव
आयोजन समिति ने बताया कि हर वर्ष प्रयास किया जाता है कि इस उत्सव में स्थानीय कलाकारों, विद्यार्थियों और सामाजिक समूहों को मंच मिले, ताकि यह आयोजन समाज के हर वर्ग की भागीदारी से सम्पन्न हो।
नगर की सामूहिक प्रार्थना — जय मां काली!
पूरे बरघाट नगर में इस समय भक्ति, श्रद्धा और सकारात्मक ऊर्जा का वातावरण व्याप्त है। दीपों की रौशनी और भक्तों की आस्था मिलकर एक ऐसा दृश्य प्रस्तुत कर रही है मानो मां महाकाली स्वयं नगर में विराजमान हों। यह महाकाली उत्सव अब बरघाट की पहचान बन चुका है — धर्म, संस्कृति और मानवता का संगम।
– सच की आंखें संवाददाता, बरघाट

