छिंदवाड़ा।छिंदवाड़ा जिले से लगभग 20 किलोमीटर एवं उमरेठ से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत मानकादेही कलां के अंतर्गत वन क्षेत्र की वादियों में बसे प्राचीन गौमुख मंदिर परिसर में प्रतिवर्ष लगने वाला प्रसिद्ध गौमुख मेला इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा से प्रारंभ होकर पूरे 15 दिन तक चलेगा।
गौमुख मंदिर अपनी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्त्व के लिए जाना जाता है। यहां पहाड़ी चट्टान के गौमुख आकार की शिला से निरंतर जलधारा प्रवाहित होती है, जो श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बनी हुई है। मंदिर परिसर में भगवान शिव-पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, महावीर स्वामी, काल भैरव, वीरभद्र और चित्रसेन आदि देवताओं की प्राचीन प्रतिमाएं विराजमान हैं।
मेले में उमड़ती है आस्था की भीड़
कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचकर पवित्र जलधारा में स्नान करते हैं और भगवान शिव का जलाभिषेक कर पूजन-अर्चना करते हैं। मान्यता है कि इस दिन गौमुख के जल से स्नान व पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
धार्मिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम
मेले की शुरुआत के शुरुआती दस दिनों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती है। इस दौरान भजन-कीर्तन, पूजा-अर्चना, सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं। परिसर में सैकड़ों दुकानें सजती हैं जिनमें आभूषण, बर्तन, घरेलू वस्तुएं और सौंदर्य प्रसाधन की बिक्री होती है।
प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यटन का केंद्र
घने वन क्षेत्र के बीच बसे इस मंदिर का वातावरण अत्यंत मनमोहक है। यह स्थल पिकनिक और पर्यटन की दृष्टि से भी आकर्षण का केंद्र बन चुका है।
गौमुख मेला समिति, स्थानीय वन सुरक्षा समिति और पुलिस प्रशासन मिलकर मेले की व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से संचालित करते हैं।
भक्ति, आस्था और प्रकृति का संगम बना यह गौमुख मेला हर वर्ष जिले के साथ-साथ अन्य जिलों के श्रद्धालुओं के आकर्षण का प्रमुख केंद्र रहता है।

