कुसमेली मंडी में टीन शेड पर व्यापारियों का कब्ज़ा, किसान सड़क पर बेचने को मजबूर!
मंडी सचिव की लापरवाही उजागर — किसानों की फसल वाहनों से कुचली, व्यापारी बेखौफ!
सरकारी टीन शेड बना व्यापारियों का गोदाम, किसानों के अधिकारों पर खुला डाका!
छिंदवाड़ा/कुसमेली
कुसमेली कृषि उपज मंडी में किसानों के साथ हो रहा अन्याय अब खुलकर सामने आने लगा है। मंडी परिसर में किसानों की सुविधा के लिए सरकारी राशि से बनाए गए टीन शेड पर व्यापारियों ने कब्ज़ा जमा लिया है, जबकि किसान सड़क किनारे मक्का ढेर लगाकर बेचने को मजबूर हैं। इससे न सिर्फ फसल वाहनों से कुचल रही है, बल्कि डैमेज बताकर किसानों को कम कीमत देने का खेल भी खुलकर चल रहा है।
अधिकारियों की खुली लापरवाही—किसानों का शोषण जारी
मंडी सचिव और संबंधित अधिकारियों की अनदेखी के कारण हालात इतने खराब हैं कि किसान अपनी ही मंडी में बेबस खड़े हैं। मंडी अधिनियम के नियमों के अनुसार—
🔹 मध्य प्रदेश कृषि उपज मंडी अधिनियम 1972 की धारा 32 के तहत
मंडी परिसर में विक्रय व्यवस्था, शेड व्यवस्था एवं किसानों की सुविधा सुनिश्चित करना मंडी सचिव और अधिकारियों की जिम्मेदारी है।
🔹 धारा 36(2) के अनुसार
किसी भी व्यापारी द्वारा मंडी की संरचना या सुविधा पर अवैध कब्ज़ा दंडनीय अपराध है।
🔹 धारा 7(1)(क)
किसान की फसल को सुरक्षित स्थान देना और विक्रय प्रक्रिया में बाधा न होने देना अनिवार्य है।
लेकिन कुसमेली मंडी में इन नियमों का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। अधिकारियों की मिलीभगत से व्यापारियों को छूट दी गई है, और किसानों को सड़क पर खड़ा कर दिया गया है।
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किसान सड़क पर—फसल कुचली जा रही, व्यापारियों की बल्ले-बल्ले
मंडी में बने टीन शेड में व्यापारियों का निजी माल रखा है। वहीं किसान खुले में सड़क पर फसल डालकर बेचने को मजबूर हैं। इससे:
गुजरते वाहनों से मक्का कुचल रही है
खराब बताकर किसानों को कम रेट दिया जा रहा है
मंडी की मूल व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है
किसानों की मेहनत पर वज्रपात हो रहा है
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सरकार के दावे फेल—अधिकारियों का संरक्षण जारी
सरकार सुविधा युक्त मंडी बनाने के दावे करती है, लेकिन कुसमेली मंडी में अधिकारी ही इन दावों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। व्यापारियों से सांठगांठ कर नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है, और किसानों की सुनने वाला कोई नहीं है।
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किसानों की मांग—जांच हो, दोषियों पर कार्रवाई हो
किसानों का कहना है कि—
“हमारी फसल सड़क पर बर्बाद हो रही है, और अधिकारी आंख बंद कर बैठे हैं। टीन शेड हमारे लिए बना था, लेकिन व्यापारी कब्ज़ा करके बैठे हैं। मंडी सचिव पर कार्रवाई हो और व्यवस्था सुधारी जाए।”
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निष्कर्ष — कुसमेली मंडी में व्यवस्था ठप, कार्रवाई न हुई तो आंदोलन तय
कुसमेली मंडी में लापरवाही नहीं, बल्कि खुला भ्रष्टाचार और नियम उल्लंघन सामने आया है।
मंडी सचिव, उप-मंडी निरीक्षक और संबंधित अधिकारियों पर धारा 36(2) के तहत कार्रवाई की मांग उठनी चाहिए, ताकि व्यापारियों का अवैध कब्ज़ा हटे और किसानों को उनका अधिकार वापस मिले।

