प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में स्व-सहायता समूहों के रूप में संगठित महिलाएँ स्व-रोजगार स्थापित कर न केवल स्वयं आत्म-निर्भर बन रही हैं, अपितु बहुत से परिवारों को रोजगार प्रदान कर रही हैं। मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की सहायता से समूह का गठन, आर्थिक सहायता, तकनीकी व कौशल प्रशिक्षण प्राप्त कर ये महिलाएँ अपना कार्य दक्षता के साथ कर रही हैं।
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कृषि एवं मुर्गी पालन से आय
विदिशा जिले के सिरोंज विकासखंड के ग्राम चौडा़खेड़ी के जानकी मईया स्व-सहायता समूह की श्रीमती श्याम बाई कृषि एवं मुर्गी पालन के क्षेत्र में कार्य कर रही हैं। वे प्रति माह 12 से 15 हजार रूपये महीने की आय प्राप्त कर रही हैं। उन्हें चक्रीय निधि, सामुदायिक निवेश निधि और बैंक लिंकेज से व्यवसाय के लिये पर्याप्त राशि मिल जाती है। वे अपने साथ ही अन्य 10 स्व-सहायता समूह की महिलाओं को भी कृषि एवं मुर्गी पालन में सहायता कर रही हैं। इसी प्रकार ग्राम महुआखेड़ा बिल्लोची के जय गुरूदेव स्व-सहायता समूह की महिला श्रीमती पिस्ता बाई किराना एवं डेयरी का कार्य कर पर्याप्त आमदनी ले रही हैं।
फूल दीदी बन रही हैं सबके लिये प्रेरणा
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औषधीय पौधों की नर्सरी
उमरिया जिले के ग्राम करोंदी टोला के दुर्गा स्व-सहायता समूह की महिलाएँ औषधीय पौधों की नर्सरी का कार्य कर रही हैं। समूह सदस्य श्रीमती पुष्पा कुशवाह ने बताया कि समूह ने ग्राम डोंडका में औषधीय पौधों की खेती के लिये 2 एकड़ जमीन का चयन किया और उस जमीन पर महिलाओं द्वारा नर्सरी तैयार की गई। नर्सरी में कालमेघ, अश्वगंधा, काली तुलसी, शतावर, ओडीसी मुनगा आदि प्रजातियाँ लगाई गई हैं। ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा उनके औषधीय उत्पादों के विक्रय की व्यवस्था भी की जा रही है।
अहिल्या दीदी बनी हैं पर्यटन गाइड
उमरिया जिले के ही ग्राम परासी के राधा स्व-सहायता समूह की अहिल्या दीदी आजीविका मिशन के माध्यम से पर्यटन गाइड का प्रशिक्षण प्राप्त कर हिन्दी और अंग्रेजी में सैलानियों को बांधवगढ़ नेशनल पार्क में जानकारी दे रही हैं। वे बीएससी, बीएड और एमसीए शिक्षा प्राप्त हैं। आरसेटी से प्राप्त प्रशिक्षण में उन्हें नेशनल पार्क में पाये जाने वाले वन्य जीवों की आदत और व्यवहार, साथ ही एतिहासिक धरोहरों के संबंध में भी जानकारी दी गई है। इस कार्य से वे अच्छी आमदनी ले रही हैं